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दरिया से गहराई पूछी

नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.
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दरिया से गहराई पूछी।
कश्ती से उतराई पूछी।

मन में दर्द जगाने वाले,
गीतों से तन्हाई पूछी।

बूंदे जब बरसी आहिस्ता,
बादल से ऊँचाई पूछी।

दूर जो चहरा पढ़ न पाई,
आँखों से बीनाई पूछी।

जाल बिछाती मकड़ी से फ़न,
क़ुदरत से दानाई पूछी।

हीर से सब उसकी रानाई,
राँझे से शैदाई पूछी।

अक़बर ने हर बूझे हल पर,
बीरबल से चतुराई पूछी।

परिचय :- नवीन माथुर पंचोली
निवास – अमझेरा धार म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षक
प्रकाशन – देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान – साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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