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अरुण यह मधुमय देश हमारा था

अमिता मराठे
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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छंद मुक्त कविता

सृष्टि के दैवी आदिकाल में,
देवी-देवताओं का राज्य था।
सुख, शान्ति, समृध्दि विचरे,
धरातल स्वर्ग सा गौरवमय था।
अरुण यह मधुमय देश हमारा था।

यहां ऋषि मुनियों का बसेरा,
महान भूमि पर संतों का डेरा।
भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, तप, श्रध्दा,
त्याग, धैर्य, निष्काम, भावना।
अरुण ऐसा मधुमय देश हमारा।

उज्वल धरा पर उदित हुए,
जन नायक, जगतवंद महात्मा।
लोककल्याण के परम साधक,
सात्विक पावन जीवन प्यारा।
अरुण यह मधुमय देश हमारा।

एक जाति, एक धर्म, एक भाषा,
चहूं ओर पवित्रता का राज्य था।
विकार मुक्त, निर्विकारी दशा का,
सत्य, स्वतंत्र, स्वराज्य अधिकार था।
अरुण यह मधुमय देश हमारा था।

एकमत, एकरस, एकता का भाव,
व्यक्ति समाज पूर्णता में प्रसन्न था।
लोकोदय के ऊंच लक्ष्य से परस्पर,
भारत भू का जीवन मंगल प्रेरित था
अरुण यह मधुमय देश हमारा था।

शस्य श्यामला भारत भूमि पर,
गंगा, जमुना का शुचि जल बहे।
तृप्त होकर, जन व्यर्थ मुक्ति से,
धरा पर हर्षित मुखमंडल लिए।
अरुण यह मधुमय देश हमारा

परिचय :- अमिता मराठे
निवासी : इन्दौर, मध्यप्रदेश
शिक्षण : प्रशिक्षण एम.ए. एल. एल. बी., पी जी डिप्लोमा इन वेल्यू एजुकेशन, अनेक प्रशिक्षण जो दिव्यांग क्षेत्र के लिए आवश्यक है।
वर्तमान में मूक बधिर संगठन द्वारा संचालित आई.डी. बी.ए. की मानद सचिव।
४५ वर्ष पहले मूक बधिर महिलाओं व अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आकांक्षा व्यवसाय केंद्र की स्थापना की। आपका एकमात्र यही ध्येय था कि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। अब तक आपके इंस्टिट्यूट से हजारों महिलाएं सशक्त हो चुकी हैं और खुद का व्यवसाय कर रही हैं।
शपथ : मैं आगे भी आना महिला शक्ति के लिए कार्य करती रहूंगी।
प्रकाशन :
१ जीवन मूल्यों के प्रेरक प्रसंग
२ नई दिशा
३ मनोगत लघुकथा संग्रह अन्य पत्र पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में कहानी, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, आलेख कविताएं प्रकाशित राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था जलधारा में सक्रिय।
सम्मान :
* मानव कल्याण सम्मान, नई दिल्ली
* मालव शिक्षा समिति की ओर से सम्मानित
* श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान
* मध्यप्रदेश बधिर महिला संघ की ओर से सम्मानित
* लेखन के क्षेत्र में अनेक सम्मान पत्र
* साहित्यकारों की श्रेणी में सम्मानित आदि


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