Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

तुमसे अलग हो कर

आस्था दीक्षित
 कानपुर

********************

तुमसे अलग हो कर
ये मन न रह पाता है माँ
कामो मे उलझा रह कर भी
याद करता माँ

आँखों मे सपने भरे
पर सपने तुमसे है
तुम मुझमे कुछ यूँ बसी
सब अपने तुमसे है
सपना पूरा करने मे
तुम साथ देना माँ .
तुमसे अलग …..

रात को सर पे तेरी
थापे याद आती है
आँगन की वो किलकारी
भी याद आती है
जब भी भूखा सोया हूँ
तुम याद आती माँ
तुमसे अलग….

अँधियारा होने पर
माँ तुम लोरी गाती थी
राजा बेटा कह के मेरा
सर सहलाती थी
उन लम्हो मे मै फिर से
जीना चाहता हूँ माँ
तुमसे अलग….

शाम को घर वापस आता
न कोई मिलता है
पूरा दिन सब क्या किया
न कोई कहता है
तेरा चेहरा सोच ते सब
सह लेता हूँ माँ
तुमसे अलग….

.
परिचय –  आस्था दीक्षित
पिता – संजीव कुमार दीक्षित
निवासी – कानपुर


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *