सुश्री हेमलता शर्मा
इंदौर म.प्र.
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हे पथिक तू चला किधर, नव पथ है, है नवीन डगर
दृष्टिपात होता है जिधर, कंटक है, नहीं पुष्प्प उधर
तन बोझिल है, मन गंभीर, हृदय व्यथित हो रहा अधीर
दुविधा तज तू हिम्मत कर, मत घबरा, चलता जा डग भर ।।
हे पथिक तू चला किधर, नव पथ है, है नवीन डगर
मन मस्तिष्क में मचा है द्वंद्व, मन व्याकुल कर रहा पुकार
कहां गयी संवेदनशीलता, जागो, अंर्तमन की ये चित्कार
कौन सुनेगा, किसे बुलाउ, दीन-हीन अब हाथ पसार
तन-मन बोल रहा अब, मत सहो वेदना कर प्रतिकार
हे पथिक तू चला किधर, नव पथ है, है नवीन डगर
क्या ’भोली’ से बन जाउं विषधर, या संहार करूं बन चक्रधर
या बन शारदा, ज्ञान प्रचार, या फिर चण्डी बन पीयु रूधीर,
मातृ शक्ति को है आव्हान, छोड राग ले हाथ खडग-तुणीर
बन दुर्गा हो सिंह सवार, कर दो नर पिषाच संहार
हे पथिक तू चला किधर, नव पथ है, है नवीन डगर
निवासी : इंदौर मध्यप्रदेश
जन्म तिथि : १९ दिसम्बर १९७७ जन्मस्थान आगर-मालवा
शिक्षा : स्नातकोत्तर, पी.एच.डी.चल रही है
कार्यक्षेत्र : वर्तमान में लेखिका सहायक संचालक, वित्त, संयुक्त संचालक, कोष एवं लेखा, इंदौर में द्धितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत है। इससे पूर्व पी.आर.ओ. के रूप में जनसम्पर्क विभाग में कार्य कर चुकी है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती है। म.प्र.संदेश, अभिव्यक्ति जैसी शासकीय पत्रिकाओं एवं दैनिक भास्कर, नई दुनिया जैसे प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपके आलेख एवं कविताएं प्रकाशित होती रही है। सामाजिक क्षेत्र- इंदौर शहर ही है। राष्ट्रीय सुरभि साहित्य संस्कृति अकादमी से उत्कृष्ट कवियित्री सहित अनेक सामाजिक साहित्यिक संस्थाओं से विभिन्न सम्मान प्राप्त हो चुके है। शासकीय क्षेत्र में भी उत्कृष्ट कार्य हेतु तीन बार सम्मानित किया जा चुका है।
उपलब्धि : म.प्र.राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित आगर-मालवा जिले की प्रथम प्रशासनिक अधिकारी, विभिन्न अवसरों पर मंच संचालन, मालवा थियेटर के कलाकार के रूप में मालवी बोली के प्रचार-प्रसार हेतु ’’मालवा-री-मिठास’’ के माध्यम से प्रचार-प्रसार एवं आनंदक के रूप में विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से समाज सेवा एवं जन कल्याण कार्यो में भागीदारी करना है । आपके लेखन का उद्देश्य मातृभाषा हिन्दी का प्रचार-प्रसार करना है।
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