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विरह की वेदना

अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश

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        रस- करुण, शांत।
भाषा- तत्सम हिन्दी शब्द संयोजन।
समर्पित- शास्वत पौराणिक पात्र हेतु।

कर धर भटकते मौन कम्पित स्वर, दशा ज्यों मार्मिक।
सती देह मृत स्थूल शिव, वो शास्वत भी पार्थिव।।

मधुकर लताकर वट समूहों से व्यथा निज गा रहे।
श्री राम सिय की वेदना सह अश्रु जनित सुना रहे।।

प्रियतम पुनः मधुमास में आकर हमारी स्वास में।
वंशी की देकर तान वृन्दावन सुसज्जित रास हो।।

अनिमेष अपलक राधिका कुछ यूँ वो विरहाधीन है।
निष्ठुर नियति के सामने मछली ज्यों नीर विहीन है।।

विक्षिप्त, गिरती सी संभलती कौंध कहती हे!वरा ।
सर पीटती रोती विलापित भाव बेसुध उत्तरा।।

दावाग्नि ज्वलित प्रतीत श्रावण की घटा प्रिय क्षोभ में।
देवों के हित ले प्रीत भस्म, रति; अति विकल विक्षोह में।।

व्यापक अनादि देव विह्हल, द्रवित अंतर श्री पतैय।
व्याकुल विहंगम हंस, निर्झर नयन कालिन्दी बहे।।

रुदनित यशोधरा कहे ना कुछ, असहनीय पीर है।
ब्याही गई जिन साथ हाय! उनही हेतु अधीर है।।

उमड़े घुमड़ते मेघ कृष्णा से लगें जिम सांवरे।
विरहा की मारी मीरा पूँछे हम भये क्यों बावरे?।।

सन्मुख निरीह ये व्योम शून्य; ब्रम्ह जानें भेद ना।
चिर क्षीर सिंधु जग डुबोती सतत् ‘विरह की वेदना’।।

परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
जन्म – २१/१०/१९८७
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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