Wednesday, December 25राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

तेजू की धुन

अमिता मराठे
इंदौर (म.प्र.)
********************

लंबे इंतजार के बाद वातावरण बदलने लगा था। महामारी और लाॅकडाउन से लोगों को निजात मिलने लगी थी। रामबाबू भी अपने रूकें कामों को पूरा करने में जुट गये थे। स्कूल के पट खुलने लगे थे। सबके कारोबार गति पकड़ ही रही थी, तो कोरोना की दूसरी लहर बेभान हो उछाले मारने लगी।
तेजू अपनी झोपड़ी के बाहर टूटी सी खटिया पर बैठे कभी मुस्कुराता तो कभी गंभीर चेहरा बनाये टेढ़े बांके हाथ किये कुछ बड़बड़ाता था।आते जाते लोग कहते विक्षिप्त है। बच्चे उसकी पीठ पर मारते तो कोई खाने की चीज उसके सामने डाल देते थे। उसे महामारी से कोई सरोकार नहीं था, लेकिन चौकस रहता था। लोगों की भेंट की चीजें लेते समय कहता ‘जागते रहो, अरे! पगले भला हो कहते हैं। राम बाबू हमेशा उसे टोकते किन्तु तेजू ने अपनी चाल नहीं बदली।
राम बाबू की समाज सेवा में तेजू और उसकी माँ को प्राथमिकता थी। उन्हें तेजू से प्यार था। वह एम आर था लेकिन कुछ समझता था।
तेजू की माँ स्कूल में चपरासी थी। सफाई के काम के लिए उसे प्रतिदिन जाना पड़ता था।
स्कूल, परीक्षा सभी फिर से बंद हो गये थे। कोरोना की सुनामी लहर में लोग अपने वालों को भी खोने लगे थे। भय व्याप्त था। फिर से कर्फ्यू, लाॅकडाउन के हालात थे। लोग अपने घरों में मास्क लगाएं टीवी पर आक्सीजन के लिए, इंजेक्शन के लिए, अस्पताल में भर्ती के लिए, बेड के लिए, अपने मरीज को लेकर भटकते दिखाई दे रहे थे। चारों ओर ह्रदय विदारक दृश्य देख आंसू लगातार बह रहे थे। हे भगवान ! माफ कर दे हमें।
डाॅक्टर, नर्स, सेवाधारी बचाव को लेकर सहयोग कर रहे थे। फिर भी मौत जो ऐसी खड़ी है कब किसको निगल लेगी पता नहीं चल सकता था।
रामबाबू ने महसूस किया तेजू के बड़बड़ाने में बहुत बड़ा सच छिपा हुआ हैं।
“नाचते, कूदते हुए, तेजू की धुन बढ़ती जा रही थी जागते रहो, जगाते रहो।

परिचय :- ८ अगस्त १९४७ को जन्मी इंदौर निवासी श्रीमती अमिता अनिल मराठे को लिखने का शौक है आपकी रचनाएँ कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। नई दिशा एवं जीवन मूल्यो के प्रेरक प्रसंग नाम से आपकी दो किताबे भी प्रकाशित हुई है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें...🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *