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अमर

रचयिता : संजय वर्मा “दॄष्टि”

वृक्ष के तले  चौपाल

जहाँ बैठकर पायल की रुनझुन
बहक जाता था दिल
दिल जवां
हो जाता था इश्क
आज उसी वृक्ष तले
चौपाल पर इश्क
खोजते
विकास के नए आयाम में
खुद चुकी चौपाल
वृक्ष नदारद
धुंधलाई आँखों से
घूम हुए का पता पूछते
लोग कहते क्या पता?
समय बदला
घूम हुई पायल की रुनझुन
इश्क हुआ घूम
पास की टाल में
लकड़ी का ढेर
कटे  पेड़ की लकड़ी
गूंगी हुई लकड़ी
निहार रही लकड़ी के टाल से
मौत आई
उसी इश्क की लकड़ी से जलाया मुझे
रूह तृप्त हुई
हुआ स्वर्ग नसीब
इश्क ऐसे हुआ अमर

परिचय :- नाम :- संजय वर्मा “दॄष्टि” पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ – मई -१९६२ (उज्जैन )
शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग )
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक “, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५ , अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच

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