Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

सदा ऐसे ही छला

वीणा वैष्णव
कांकरोली

********************

सरल व्यक्ति को, सदा ऐसे ही छला जाता है।
कर उसका अपमान, शर्मिंदा किया जाता है।।

चिकनी चुपड़ी बातों से, वो अच्छा बन जाता है।
लेकिन हकीकत को, वह नहीं छुपा पाता है।।

गैर नजर नहीं, प्रभु नजर वह गिर जाता है।
अपनी बर्बादी द्वार, वो स्वयं खोल जाता है।।

शतरंज खिलाड़ी बन, होशियारी दिखाता है।
प्रभु नजर से वह, कभी नहीं बच पाता है।।

इतिहास गवाह, छलिया सदा ही दुख पाता है।
रावण कंस कौरव, याद नहीं कोई रखता है।।

अति सर्वत्र वर्जित, उसको ही वह दोहराता है।
उपवास पात्र, सबके समक्ष वह ऐसे बनता है।।

अपने मुंह मियां मिट्ठू, जो गलती से बनता है।
अति होने पर, खुद अपने हाथ मुंह ढकता है।।

गुणी बन बकवाद, लंबी तान वो छेड़ता है।
अपना मान सम्मान, ऐसे स्वयं खो देता है।।

श्रेय उसे ही मिलता है, श्रेष्ठ कार्य जो करता है।
सरल व्यक्ति सदा, गुणों से ही पूजा जाता है।।

.

परिचय : कांकरोली निवासी वीणा वैष्णव वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय फरारा में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। कवितायें लिखने में आपकी गहन रूचि है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *