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रीतु देवी “प्रज्ञा”
(दरभंगा बिहार)
लाडली तेरे आँगन की
मैं तेरे आँचल की पराया धन नहीं
पराया शब्द से होती हृदयाघात,
जीवनपर्यंत दूँगी आप सबका साथ।
मैं तेरे बगिया की मनमोहक पुष्प
भूल न यूँ जाना,
विदा कर पराया घर
हृदयावास मुझे भी बसाना।
मेरा भी अस्तित्व है बाबुल अँगना,
मैंने भी देखा है स्वर्णिम सपना।
लेखीका परिचय :- रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार
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