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अक्षय तृतीया

श्रीमती शोभारानी तिवारी
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन जो दान पुण्य किया जाता है, उसका फल अक्षय होता है, ऐसी मान्यता है, कि इस दिन को शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए गृह प्रवेश से लेकर शादी तक अक्षय तृतीया को करना चाहते हैं। अक्षय तृतीया के दिन आज भी गांव में बाल विवाह करने की प्रथा है। बाल विवाह करने और करवाने वालों को भले ही दंड मिलता है, परंतु इसके बावजूद भी अक्षय तृतीया के दिन बहुत सी शादियां होती हैं। यह एक कुरीति है, क्योंकि १८ वर्ष से कम उम्र के बच्चे नाबालिक समझे जाते हैं, और इस उम्र में लड़कियों की शादी के करने के किसकी पढ़ाई रुक जाती है और उसका शरीर भी गर्भधारण करने के लिए भी तैयार नहीं होता। कम उम्र में शादी होने से ना ही रुतबा होता है, न ही शक्ति और न ही वह पूर्ण रुप से परिपक्व होती है, इसका परिणाम यह होता है कि लड़कियां घरेलू हिंसा, यौन शोषण की शिकार हो जाती हैं। एचआईवी तथा एड्स का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र में बच्चा पैदा करने से लड़कियों की मृत्यु भी हो जाती है। विवाह एक पवित्र संस्कार है, पवित्र बंधन है। शादी दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है, परंतु देखा जाता है कि शादी के नाम पर लोग बहुत लाखों रुपए खर्च कर देते हैं। इसे यादगार बनाने के लिए डेकोरेशन, डी.जे. व आतिशबाजी और दहेज के नाम पर बहुत सा रूपय फिजूल खर्च होता है, इससे दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को बढ़ावा मिलता है। आजकल दिखावे का जमाना है। अच्छा होटल, अच्छा खाना तथा लोगों प्रतियोगिता की भावना है, कि उसने इतना खर्च किया तो मैं उससे कम नहीं हूं। दिखावे में लोग अनाप-शनाप खर्च करते हैं जो ठीक नहीं है, इन पैसों को अगर वृद्धाश्रम में या अनाथालय में दे दिया जाए तो कितने लोगों का पेट पल सकता है। इतने सारे व्यंजन और स्टाल लगाने की भी आवश्यकता नहीं है, लोग बहुत से लोगों को बुला लेते हैं। कम लोगों को ही बुलाया जाए और खाने की वैरायटी भी कम रखें। लोग प्लेट में ढेर सारा खाना ले लेते हैं कुछ खाते हैं और फिर बाकी छोड़ देते हैं, ऐसे में एक तो अन्न की बर्बादी होती है, और दूसरा अन्न का अपमान भी होता है। कम स्टाल लगाएं, जिससे अन्न की बर्बादी ना हो, तथा व्यंजन की सीमा भी निश्चित हो, इस तरह हमारा अपने आप पर कंट्रोल कर के कुछ बचत कर सकते हैं, और हम समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त कर सकते हैं।

परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी
पति – श्री ओम प्रकाश तिवारी
जन्मदिन – ३०/०६/१९५७
जन्मस्थान – बिलासपुर छत्तीसगढ़
शिक्षा – एम.ए समाजश शास्त्र, बी टी आई.
व्यवसाय – शासकीय शिक्षक सन् १९७७ से वर्तमान में शासकीय हिन्दी प्राथमिक विद्यालय क्र. ६४ इन्दौर में प्रधानाचार्य
किसी क्षेत्र में उपलब्धियों का विवरण –
श्रेष्ठ शिक्षक अवार्ड ५ सितंबर२०१५
उत्कृष्ट शिक्षक अवार्ड (आइसेक्ट यूनिवर्सिटी) २०१३
एक्सिलेंस टीचर्स अवार्ड (पत्रिका द्वारा) इंदौर २०१५
मालव रत्न अवार्ड इन्दौर २०१६
राज्य स्तरीय पुरस्कार दैनिक विनय उजाला २०१६
शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट सम्मान (साहित्य कलश द्वारा ) २०१८
प्रकाशित रचनाओं की संख्या – ६०
प्रकाशित पुस्तकों की संख्या – ०१
विधा – काव्य (एक उड़ान उन्मुक्त गगन में )

प्राप्त सम्मान :-
जे एम डी पब्लिकेशन द्वारा हिन्दी सेवी सम्मान (दिल्ली) २०१२
साहित्य रत्नाकर सम्मान (लखनऊ) २०१५
माहेश्वरी सम्मान (भोपाल) २०१५
डाँ. महाराज कृष्ण स्मृति सम्मान (शिलांग) २०१५ स्वर्ण पदक
विकल सम्मान (उत्तर प्रदेश) २०१६
विद्या वाचस्पति पुरस्कार (भागलपुर बिहार) २०१६
साहित्य भूषण एवं नारी रत्न सम्मान (रायपुर)
रविन्द्रनाथ ठाकुर सारस्वत साहित्य सम्मान (कोलकाता) २०१५
महिला गौरव सम्मान (खण्डवा) २०१७
१० कलमवीर सम्मान (ग्वालियर) २०१७
११ राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. (hindirakshak.com) द्वारा – हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान, कुल ४३ अवार्ड
काव्य पाठ का विवरण :-
आकाशवाणी से कविताओं का प्रसारण १६ वर्षों से
खण्डवा म. प्र., कनाड़िया इन्दौर, स्मृति नगर इन्दौर, शिक्षक नगर इन्दौर, पत्रिका मेला इन्दौर, तिलक नगर इन्दौर, माण्डव जिला म. प्र. में
राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अ. भा. कवि सम्मेलन में।
घोषणा – मै घोषणा करती हूँ कि प्रेषित जीवन परिचय में मेरे द्वारा दी गई समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है। असत्य पाए जाने की दशा मे हम स्वयं जिम्मेदार होंगे। मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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