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अखण्ड ज्योति

रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)

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अमावस्या की रात में जब
हजारों दिये जलते हैं तो
अन्धेरा मालूम नहीं कहाँ
खो जाता है
व्यक्ति चाह कर भी
अन्धेरे से दो चार
नहीं हो पाता है
उस अंधेरी रात में भी
पूर्णमासी की झलक मिलती है
दीया और बाती के जलने मे भी
बर्फ की ठंडक मिलती हैं
व्यक्ति चाहे तो….
जिन्दगी की अमावास की रात में
दीवाली की जगमग ला सकता है
निराशा की अँधेरी रात में
आशा के दीप जला सकता है
बस हमें….
जिन्दगी के इस दीये में
इंसानियत की तेल और
शराफत की बाती चाहिए
फिर जिंदगी की लौ
शायद ही कभी झिलमिलाये
और जिन्दगी एक
अखंड ज्योति बन जाए

परिचय : रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
निवासी : मुक्तनगर, पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


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