Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

अजब है जलसा ये मुल्क में

मुकेश सिंघानिया
चाम्पा (छत्तीसगढ़)

********************

                       १२२२ १२२२ १२२२ १२२२

अजब है जलसा ये मुल्क में सब तरफ ही जगमग सा हो रहा है
मगर वो माटी के घर में माटी का दीप हालत पे रो रहा है/१

नसीब इन बिजलियों की देखो लिबास है कांच के बदन पर
उधार की जगमगाती रौनक में डूब कर मन भी खो रहा है/२

ये झिलमिलाती सी दीप माला में एक दीपक जला अकेला
चुनौतियां दे रहा अंधेरों को अपनी धुन का ही वो रहा है/३

मगन है दुनिया तो मस्तियों में किसे है परवाह कहाँ हुआ क्या
खबर पड़ोसी को भी हुई ना बगल वो भूखा क्यूँ सो रहा है/४

वो बेसहारा यतीम हसरत भरी निगाहों से है निहारे
सजा है बाजार हसरतों का बेचारा सपने संजो रहा है/५

रवायतें है गरीब खातिर अमीर के मौज का है जरिया
ये तीज त्योहार बन के आफत ही झुग्गियों को भिगो रहा है/६

जरूरतें कौन सी निभाए किसे वो छोड़े किसे भुलाए
उधेड़बुन में यही वो कितनी ही हसरतों को भी ढो रहा है/७

तरस रही हैं उजाले खातिर न जाने कितनी ही बस्तियां भी
न जाने सूरज कहाँ उगा है कहाँ उजाले वो बो रहा है/८

शहर की मशरूफियत से हट कर है सादगी का सुहाना मंजर
गंवार कहती हैं जिसको दुनिया वो गांव तहज़ीब ढो रहा है/९

कहां रही अब वो रौनकें भी कहां वो पहले से दिन रहे अब
बदलते मौसम में अब ये रस्मों रिवाज पहचान खो रहा है/१०

हुए मुलाकात बरसों बीते कुछ अपनो से हम जो कल थे बिछड़े
कोई बहाने न काम आये उदास मन भर के रो रहा है/११

बिछे हुए फूल मंदिरों में बिखर रही खुश्बूएं फिजा में
मिले हैं कांटे बेचारगी को कदम कदम बस चुभो रहा है/१२

परिचय :- मुकेश सिंघानिया
निवासी : चाम्पा (छत्तीसगढ़)
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *