गोरधन भटनागर
खारडा जिला-पाली (राजस्थान)
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लक्ष्य तुझे पाना है।
आज नहीं तो कल
जरा विलंब लग जाएगा
मगर थकूंगा नहीं, मैं आज।।
लक्ष्य तुझे पाना है आज नहीं तो कल
कल अगर हो जाए, अंधेरा
तो हाथ में दिया जला लूंगा मैं
लक्ष्य तुझे पाना है आज नहीं तो कल
क्या तू ओझल हो जाएगा।
मैं ढूंढ लूंगा तुझे हर बार।।
तू रह अपनी ठौर, मैं अपनी ठौर।
लक्ष्य तुझे पाना है……….।
तू भी तो साथ दे मेरा।
तेरे लिए ही जगता हूं, दिन- रात।।
सुन तू मेरी बात
पाना है जरूर तुझे आज नहीं तो कल
लक्ष्य तुझे पाना है,……….।
तू रुके या दौड़े।
मुझे नहीं झुका सकता।।
थाम लिया है कलम को।
साथ भी हैं स्याही का।।
लक्ष्य तुझे पाना है,………।
ऐ नींद! तु भी क्या आडे आएगी?
जा तू भी सो जा।
ऐ अंधेरा तू क्या रोकेगा, अब मुझे।।
बस ठान लिया है, पाने का तुझे
लक्ष्य तुझे पाना है,……….।
सुनो ए बाधाओ,
क्या रोक पाओगे मुझे।
ए मंजिल तुझे रुकना पड़ेगा।।
लक्ष्य तुझे पाना है,………।
अब नहीं थमेगा, यह मन।
बस चलेगा अनवरत्
लगा ले अपना जोर तू,
मैं भी हूं अडीग, अटल।
लक्ष्य तुझे पाना है,……..।
ये लोग भी क्या रोकेंगे मुझे।
अब सुन नहीं सकूंगा किसी की, एक भी।।
लक्ष्य! बस देख लिया है तुझे।
तू रुक ढूंढ लूंगा तुझे।।
लक्ष्य तुझे पाना है,………..।
क्या गुरुर हैं इतना तुझे।
बस आगे ही बढ़ता है तू।।
मगर तू भी क्या जाने?
पाला! मूझसे पड़ा है,
तू भी अडा है, मैं भी खड़ा हूं।
लक्ष्य तुझे पाना है,…….।
कमजोरियां बहुत होगी, मगर
किनारे डाल दूंगा।
आज छोटी ही सही, मगर…..
पूरा भी कर लूंगा।।
तू क्या समझता है, मैं थक जाऊंगा ‘नहीं’।
लक्ष्य तुझे पाना है,……..।
क्या तुझे है पता, मुझमें है वह ताकत।।
तू भी कर ले अपनी कोशिश मैं भी करता हूं
लक्ष्य तेरे पास हाजिर हो रहा हूं।
लक्ष्य तुझे पाना है,………।
तू भी चल मैं भी देखता हूं तुझे,
कितना चल पाता है।
तू ही थमेगा तू ही रुकेगा।।
यह मेरे भाई मान ले जरा, तू।
लक्ष्य तुझे पाना है,…….।
हर मोड़ से उठा लूंगा तुझे।
बादलों से चीरकर, सागर से ढूंढ कर
पा लूंगा तुझे।
बस बहुत हुआ अभी,
मुझे रुकना नहीं पल भर भी।।
लक्ष्य तुझे पाना है,………।
सुख -विलास छोड़ दिया है।
आनंद भी छोड़ दिया है, तेरे वास्ते।।
अब तू कहां तक जाएगा।
आ रहा हूं मैं, आज नहीं तो कल।।
लक्ष्य तुझे पाना है,……….।
रुकना तेरी आदत नहीं,
तो सुन!यह मेरी भी फितरत नहीं।
तू भी चल मैं भी चलता हूं,
मगर सुन मैं जरूर मिलूंगा तुझे
आज नहीं तो कल।
लक्ष्य तुझे पाना है,………।
कोशिश की थी कई बार…..
मगर थी कमजोर, नाकामियांब।
अब मन में है विश्वास, दृढ।।
रक्त में है तेज, चेहरे पर नमी।
मगर मुस्कान में है कमी।।
लक्ष्य तुझे पाना है,…….।
अब सुन! अधरों पर मुस्कान भी होगी मेरे
चेहरे पर भी चमक होगी मेरे।
तू ले आ पूरा आसमां धरती पर
सितारे भी साथ ले आ।।
लक्ष्य तुझे पाना है, आज नहीं तो कल।
तू हो जा तैयार अब मेरे स्वागत में।
मिलते हैं जल्द सुखद मिलन में।।
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लेखक परिचय :-गोरधन भटनागर
निवासी : खारडा जिला-पाली (राजस्थान)
जन्म तारीख : १५/०९/१९९७
पिता : खेतारामजी
माता : सीता देवी
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