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आगरम… सागरम…

ओंकार नाथ सिंह
गोशंदेपुर (गाजीपुर)
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आगरम सागरम बुद्धि के नागरम
कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम
हर समय लीन तुझ में सदा मैं रहूं
अपनी विपदा कभी ना किसी से कहूं
हो एके कर्म करते जाए धर्म
कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम
है तुम में सब सब तुम में है
पर्वत सागर सब तुम में है
कोई कुछ भी कहे ना कोई भरम
कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम
ओंकार कहता हे दिव्य दयानिधिम
ना क्षमता मेरी कहुं मैं केहि बिधिम
कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम
आगरम सागरम बुद्धि के नागरम
कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम

परिचय :-  ओंकार नाथ सिंह
निवासी : गोशंदेपुर (गाजीपुर)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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