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फिर इस बार होली पर वो

फिर इस बार होली पर वो …

पवन मकवाना (हिन्दी रक्षक) 
इन्दौर (मध्य प्रदेश)

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फिर इस बार होली पर वो,
सच कितना इठलाई होगी..
सत रंगों की बारिश में वो,
छककर खूब नहाईं होगी….।

भूले से भी मन में उसके,
याद जो मेरी आई होगी..
होली में उसने नफरत अपनी,
शायद आज जलाई होगी….।

फिर इस बार होली पर वो ….!!

ये क्या हुआ जो बहने लगी,
मंद गति शीतल सी ‘पवन’..
याद में मेरी शायद उसने,
फिर से ली अंगड़ाई होगी….।

फिर इस बार होली पर वो ….!!

कैसी है ये अनजान महक,
चारों तरफ फैली है जो..
मुझे रंगने को शायद उसने,
कैसर हाथों से मिलाई होगी….।

फिर इस बार होली पर वो ….!!

पीले,लाल, गुलाबी रंग की,
मेहँदी उसने रचाई होगी..
आएगा कोई मुझसे खेलने होली,
उसने आस लगाई होगी….।

फिर इस बार होली पर वो ….!!

डबडबाई आँखों से उसने,
मेरी राह निहारी होगी..।
पूर्णिमा के चाँद पे जैसे,
आज चकोर बलिहारी होगी….।

फिर इस बार होली पर वो ….!!

रास्ता देखती होगी वो मेरा,
रंगों की थाल सजाई होगी..
आएंगे वो तो,रंग दूंगी उनको,
सोच के वो शरमाई होगी….।

फिर इस बार होली पर वो ….!!

पहचान ना ले बेसब्री कोई,
लोगों से नजरें चुराई होगी..
मन-ही-मन में सारी बातें,
खुद ने खुद को सुनाई होगी….।

फिर इस बार होली पर वो ….!!

होली पर बिछड़कर मुझसे,
आज वो क्या पछताई होगी..
कौन समझाए अब जाकर उसको,
इस बात की ना भरपाई होगी….।

फिर इस बार होली पर वो ….!!

खेलेंगे सब मिलकर होली,
मेरी किस्मत में जुदाई होगी..
मेरे लिए जहर है यह होली,
औरों के लिए मिठाई होगी….
फिर इस बार होली पर वो ….!!

परिचय : पवन मकवाना
जन्म : ६ नवम्बर १९६९
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश
सम्प्रति : संस्थापक- हिन्दी रक्षक मंच
सम्पादक- hindirakshak.Com हिन्दीरक्षकडॉटकाम
सम्पादक- divyotthan.Com (DNN)
सचिव- दिव्योत्थान एजुकेशन एन्ड वेलफेयर सोसाइटी
स्वतंत्र पत्रकार व व्यावसाइक छायाचित्रकार


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