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तेरा आंचल पाकर

दामोदर विरमाल
महू – इंदौर (मध्यप्रदेश)

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तेरा आंचल पाकर मेरा जन्म सफल है माँ।
तेरे बिना अधुरा हूँ सब तेरे बिना विफल है माँ।
देख सुबह तेरी सूरत को सगरे काम संवर जाते।
तुझको करे दुखी जो जग में उसके काम बिगड़ जाते।
करूँ याद ईश्वर को उसमे तेरी शकल है माँ…

तेरा आंचल पाकर मेरा जन्म सफल है माँ।
तेरे बिना अधुरा हूँ सब तेरे बिना विफल है माँ।

कैसे भूलूँ मेरा बचपन जब तुमने संघर्ष किया।
देकर जन्नत गोद मुझे फूलों का स्पर्श दिया।
होता रहा सफल मैं क्योंकि तेरा दखल है माँ।

तेरा आंचल पाकर मेरा जन्म सफल है माँ।
तेरे बिना अधुरा हूँ सब तेरे बिना विफल है माँ।

आज भी तेरे हाथों की रोटी का कोई जवाब नही।
जितना तूने दिया है मुझको उसका कोई हिसाब नही।
चित्र तो लगा रखा घर मे जो तेरी नकल है माँ।

तेरा आंचल पाकर मेरा जन्म सफल है माँ।
तेरे बिना अधुरा हूँ सब तेरे बिना विफल है माँ।

रहकर मुझसे दूर तेरा ये प्रेम कभी भी घटा नही।
याद मुझे तू करती है ये सिलसिला कभी मिटा नही।
जिम्मेदारी सर पर और ये कठिन सफर है माँ।

तेरा आंचल पाकर मेरा जन्म सफल है माँ।
तेरे बिना अधुरा हूँ सब तेरे बिना विफल है माँ।

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परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्रसाद जी विरमाल इनके नानाजी थे। हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं आपके द्वारा अभी तक कई कविताये, मुक्तक, एवं ग़ज़ल व गीत लिखे गए है, जो आये दिन अखबारों में प्रकाशित होते रहते है।  गायन के क्षेत्र कराओके गीत गाने में आप खासी रुचि रखते है।


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