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मयकदा पानें के बाद

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री)
(मुजफ्फरनगर)

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मैं नशे में ठीक था मैं मयकदा पानें के बाद
बस परेशान ही रहा हूँ होश में आनें के बाद

शख्सियत खुद की तराशो सादगी से इस कदर
आपकी तारीफ हो यहाँ आपके जानें के बाद

जब भी मिलता है वो अब भी आदतन मजबूर है
पूछता है हाल वो मुझ पर सितम ढानें के बाद

खुद से गर ना मिल सके इस बार कोई गम नहीं
फिर शुरू होती है माला आखिरी दानें के बाद

दुश्मनी मुझसे है या फिर है अदा उसकी कोई
फिर सितम करता है वो कितना भी समझाने के बाद

जिस तरह भी आजमाओ मुझको तुम मेरे सनम
तुमको ना मुझसा मिलेगा मेरे अफसानें के बाद

अब तलक भटका हुआ शाफिर” नशे में चूर था
आज संभला हूं मैं लेकिन ठोकरे खानें के बाद

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लेखक परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री)
ग्राम- सौंहजनी तगान
जिला- मुजफ्फरनगर
प्रदेश- उत्तरप्रदेश


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