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मरने के बाद

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा
बेगम बाग (मेरठ)

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लोग कहते हैं मरने के बाद,
मुक्ति मिल जाती है,
अपनों का एहसास नहीं होता,
अपनों की याद नहीं आती,
कोई हमसे तो पूछें,
मुक्ति के बाद एक-एक पल हमने कैसे गुजारा,
हमें जलने से डर लगा, पर चले हम,
हमें दूर होने से डर लगा, पर दूर हुए हम,
मरने के बाद क्यों रहते हैं हम, अपनों के आसपास ही,
अपनों ने ही जलाया हमें,
अपनों ने ही भुलाया हमें,
हमें भी दर्द हुआ था जलने में,
खाक ऐ सुपुर्द होने में,
हम सब को देखते हैं,
हमें कोई नहीं देखता,
हम सबको याद करते हैं पर,
हमें कोई याद नहीं करता,
क्यों मर कर भी,
तिल तिल मरते हैं हम,
अपनों के लिए…..

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परिचय :-  सुरेखा “सुनील “दत्त शर्मा
जन्मतिथि : ३१ अगस्त
जन्म स्थान : मथुरा
निवासी : बेगम बाग मेरठ
साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास
प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :-
पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल, हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजाला अखबार, सौराष्ट्र भारत न्यूज़ पेपर मुंबई,  कहानी संग्रह, काव्य संग्रह
सम्मान : काव्य भूषण सम्मान मुंबई, वरिष्ठ समाजसेवी सम्मान मेरठ, क्रांति धरा साहित्य रत्न सम्मान, पर्यावरण प्रहरी सम्मान
संप्रति : सचिव ग्रीन केयर सोसायटी, सचिव बीइंग वूमेन मेरठ मंडल


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