रचयिता : रशीद अहमद शेख
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युगों के बाद कोई महावीर होता है!
हर एक देश में हर युग में वीर होता है!
युगों के बाद कोई महावीर होता है!
जगत में छाती है जब-जब अधर्म की बदली!
ज़मीं पे गिरती है रह-रह के ज़ुल्म की बिजली!
जब आदमी को सताती है गुनाहों की उमस,
अंधेरे दौर में आती है रोशनी उजली!
जब आसमान की आंखों में नीर होता है!
युगों के बाद •••••••••••••
महापुरुष तो ज़माने में आते-जाते हैं!
भटकने वालों को रस्ता सही दिखाते हैं!
प्रयत्न करते हैं कल्याण हेतु आजीवन,
महान कर्म से इतिहास वे बनाते हैं!
कभी-कभी ही कोई बेनज़ीर होता है!
युगों के बाद ••••••••••••••••
बस एक अवधि तक ही भूमि पाप ढोती है!
फिर इसके बाद सिसकती है खूब रोती है!
दशों दिशाओं में मचता है हाहाकार बहुत,
मनुज को देख दुखी प्रकृति भी होती है!
तड़पती देह में मनवा अधीर होता है!
युगों के बाद ••••••••••••••••
पाप-कंटक से जब होते हैं प्रताड़ित तन-मन!
सृष्टि-उपवन में तब खिलते हैं दिव्य पुण्य सुमन!
अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अस्तेय,अपरिग्रह
अपने संदेश से करते हैं प्रभावित जन-मन!
अमर है आत्मा नश्वर शरीर होता है!
युगों के बाद ••••••••••••••••
सुख और राग युक्त ज़िन्दगी नहीं भाई!
तप और त्यागपूर्ण पद्धति पसंद आई!
क्षणिक सुखों से वशीभूत हो न धर्मविमुख,
प्रयोग द्वारा अखिल जग को बात समझाई!
कि बादशाह से बढ़कर फ़क़ीर होता है!
युगों के बाद कोई महावीर होता है!
लेखक परिचय :- नाम ~ रशीद अहमद शेख
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद
कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य
सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा
लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि।
प्रकाशन ~ अब तक लगभग दो दर्जन साझा काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच काव्य संकलनों का संपादन किया है।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं।
विशेष उपलब्धि ~ हिन्दी और अंग्रेजी का राज्य प्रशिक्षक तथा जूनियर रेडक्रास का राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। सन्रा १९९२ में राज्यपाल से अवार्ड मिला।
लेखनी का उद्देश्य ~ राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता तथा व्यक्तिगत सर्वांगीण विकास।
पसंदीदा हिन्दी लेखक ~ शिवमंगलसिंह सुमन, दुष्यंत कुमार, नीरज
विशेषज्ञता ~ मैं सदैव स्वयं को विद्यार्थी मानता आया हूँ।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार ~ भारत से मैं असीम प्रेम करता हूँ। धरती पर ऐसा अद्भुत महान देश अन्यत्र नहीं। मुझे हिन्दी बोलने,पढ़ने और इस भाषा में कुछ भी लिखने में बहुत गर्व का अनुभव होता है।
मौलिकता की जिम्मेदारी ~ मैं मौलिकता को लेखन का अनिवार्य अंग मानता हूँ।
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