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अपनापन

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

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अपनापन कितना कटु सत्य है,
शायद हम सभी मानते हैं।
मानवीयता की कसौटी पर,
इससे तौल सकते हैं।
जब हम जीवन की प्रतियोगी बन,
सफली भूत होते हैं,
तो यह अपनापन
कितना मनभावन लगता है।
क्या सही मायने में हम,
इसे अपनापन कहते हैं।
जब मजबूरी के क्षण में,
यह अपनापन टूटने लगता है।
तो वास्तविकता के सही मायने,
सामने आने लगता है।
क्या इस कटु सत्य को,
अपनापन सही मायने में कहते हैं।
जो हर एक क्षण सांत्वना देता हो,
विपत्तियों के छन में भी,
दिल को चूम लेता हो।
नए उत्साह और स्फूर्ति,
फिर से भर देता हो।
सही मायने में इसे,
हम अपनापन कहते हैं।

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लेखक परिचय :-  नाम – ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला –पूर्वी चंपारण (बिहार)


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