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 मोहब्बत का सफ़र

रचयिता : ईन्द्रजीत कुमार यादव

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 मोहब्बत का सफ़र

तलाश रह गई जिन्दगी सफ़र खत्म कहा हुआ,
जिन्दगी युही कटती रही लेकिन कुछ हासिल कहा हुआ,
सोचा कि वो मिल जाएँगे राहो मे मगर इंतेजार खत्म कहा हुआ।
 
कुछ नही है मेरे पास और मै कुछ चाहता भी नही,
तुम्हारी आँखो मे है मेरा बसेरा और मै किसी को पहचानता भी नही,
तुम्हे भी बसाते हम अपनी आँखो मे लेकीन आँखो का रोना खत्म कहा हुआ।
 
भुलाना चाहा अपने अश्कों को लेकीन आँखो का साथ छुट गया, 
इस मन्दिर मे है तेरी हि मुरत लेकीन इस पुजारी का अब आस छुट गया,
इबादत करते हम क़यामत तक लेकीन तेरे होने का एहसास कहा हुआ।
 
फ़लक तक चलना हमारी आदत सी हो गई,
बादलो के साथ हमारी दौर एक पागलपन सी हो गई,
खु़ब जुनुन रहा तुझे पाने का,
लाते जिन्दगी मे तुझे भी मगर ऐसा नसीब कहा हुआ।

लेखक परिचय :- 
नाम : ईन्द्रजीत कुमार यादव
निवासी : ग्राम – आदिलपुर जिला – पटना, (बिहार)

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