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दानवता स्वीकार

अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश

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समर्पित – अवनि से अम्बर तक प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से मानव जाति के अधिकृत अतिक्रमण पर।
उद्देश्य – प्रकृति-जीव संरक्षण।

पशु-पक्षी पर बाज ना आये, करके अत्याचार।
मानवता की अति कर्मगति, धरा देय चित्कार।

अंध मार्ग औचित्यहीनता, हुआ बहु विस्तार।
स्व स्वारथ निज सुविधा हेतु, रौंदे तिमिर हज़ार।

छीन लिए मासूम खगों से, उनके घर- संसार।
स्वास् वास् अब शुद्ध नहीँ, हवा में ज़हर घुलाया है।

मानव के अधिकारों ने कुछ, ऐंसा तांडव मचाया है।
जीवन से बढ़कर हो चले, वैनाशिक आविष्कार?

मैं मानव हूँ और हैं केवल, मेरे ही अधिकार।
इस विकार से कर चुका, दानवता स्वीकार।

मति भ्रमित कर ली स्वयंमय, करके अंगीकार।
सर्वाधिकार सुरक्षा पर, लगातार प्रहार?

राष्ट्र हितैषी नीति की पगबेड़ि, बने हर बार।
ऐंसे मानवाधिकार को, बार-बार धिक्कार।

इसी हेतु कर्तव्यवाद की, हुई पुनः दरकार।
शास्वत संस्कृति पर लौटो, सतत करो उपकार।

प्रकृति जीव सभी संरक्षित, निहित जगत उद्धार।
मैं मानव हूँ और हैं केवल, मेरे ही अधिकार।

इस विकार से कर चुका, दानवता स्वीकार।।

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परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
जन्म – २१/१०/१९८७
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है


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