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ए जिंदगी

गगन खरे क्षितिज
कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश)
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ए जिंदगी में कितना खुश नसीब हूं
मन की आहट सांसों का निरंतर चलना,
सुबह का खिलना एक मधूर
मुस्कान के साथ स्वागत, अभिनन्दन,
अभिनन्दन शुभ प्रभात नई ऊर्जा के साथ
है ईश्वर तेरा अभिवादन करता हूं
नतमस्तक हूं प्रथम कुसुम खिलें
उषा की किरणों के साथ एक प्यारी सी
मिठी सी मुस्कान लिए समर्पित हूं
ईश्वर अभिनन्दन, अभिनन्दन
में सर झुका कर करता हूं।

शशि चंद्र धुमिल हुए, प्रखर लालिमा लिए
प्रकट समय-चक्र सूर्य नारायणन
गतिशीलता लिए एक नई दिशा
जिंदगी को देने अपनी ऊर्जा से पथ प्रदर्शक,
मार्गदर्शन करने जागो नई उमंग लिए
मिठी सी मुस्कान के साथ है ईश्वर
शुभ प्रभात की नई किरणों के साथ
अभिनन्दन अभिनन्दन करता हूं।
सरिता की पावन जल लहरें,
जल प्रपातों से करती अटखेलियों
निखार रही परिंदों कलाबाजियां
शिखर पर हैं प्रातः उषा काल में
दिनचर्या ऊर्जावान बनकर गगन
किसी योगी की तरह साष्टांग
प्रणाम मुद्रा लिए मिठी सी
मुस्कान के साथ सुबह की
राम राम नमस्कार एक नई
शुरुआत के साथ
अभिनन्दन अभिनन्दन करता हूं।

परिचय :- गगन खरे क्षितिज
निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश
उम्र : ६६वर्ष
शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से
सम्प्रति : नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण भोपाल मध्यप्रदेश सेवानिवृत्त २०१४
साहित्य में कदम : २०१४ से भारतीय साहित्य परिषद मंहू, मध्य प्रदेश लेखक संघ मंहू इकाई, महफ़िल ए साहित्य कोदरिया मंहू, आर्चना साहित्य संस्थान मंहू, राष्ट्रीय संखी साहित्य परिवार, छत्तीसगढ़ सखी साहित्य परिवार, म. प्र. संखी साहित्य परिवार, राष्ट्रिय हिंदी रक्षक मंच आदि समूह से समय पर जुड़े है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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