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एक कोरोना

भारत भूषण पाठक देवांश
धौनी (झारखंड)

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एक कोरोना तोड़ रही,
सैकड़ों कमर है।
अच्छी बात आज इस
लाॅकडाऊन की यही
प्रकृति हो रही देखो
कितनी निर्मल है।
अच्छा तो होता कि,
ये आवाज न
आती कि मौत टहल…
रही, पहर दोपहर है।
हाथ तंग हो रहे हैं,
दंग हो रहे हैं हम
दवाइयों की शीशी
बच्चों के बोतल
चाय के कुल्हड़ सब
खाली हो गए।
घर में अँधेरा,
बस इन्तजार …
कब हो सवेरा।
कहती सरकार है,
दुकानों में राशन…
अजी भरमार है।
पर क्या खाली जेबें
देती, भला क्या कभी
किसी को राशन है।
घरों में बस बैठे नहीं,
हम दुबके हुए हैं।
आश यह लिए कि,
मेरा भारत समर्थवान है।
अजी आश नहीं,
मेरा विश्वास कहिये।

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परिचय :- भारत भूषण पाठक ‘देवांश’
लेखनी नाम – तुच्छ कवि ‘भारत ‘
निवासी – ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका (झारखंड)
कार्यक्षेत्र – आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक
योग्यता – बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है।
काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास – साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में।

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