रजनी झा
इंदौर (मध्य प्रदेश)
********************
आज शाम शुक्रवार सेसोमवार सुबह ६ बजे तक ६० घंटे का लॉकडाउन लगने वाला है इस लिए आज शाम होने से पहले अपने गांव के लिए रवाना होने वाली थी साक्षी अपने परिवार के साथ तभी उसकी सास का कॉल आया बातों-बातों में उन्होंने बताया की गांव की एक लड़की पड़ोस के लड़के के साथ भाग गई है उसके घर वाले उस लड़की को कोस रहे हैं ना जाने कीतनी मन्नतों से पैदा हुई थी, पैदा होते ही पुरे गांव में लड्डू बांटा था, पलकों पर बैठाकर रखा था, नन्हीं परी बुलाते थे उसे अब तक, अरे! किसने जाना था की इस परी के भी पर निकल आए हैं। इतना बड़ा कदम उठाने से पहले उसने अपने माँ-बाबा के बारे में तनिक भी ना सोचा, घर वालों की इज्जत मट्टी में मिला दी कल्मुही, रांड कहीं की। अगर पहले पता चल जाता की ऐसे गुल खिलाने वाली है तो अब तक शादी ही करा देते उसकी। मैं तो कहती हूँ गलती घर वालों की भी है बेटी के लक्षण ना समझ में आया होगा क्या उन्हें सब कुछ जानते हुए भी उसे पढ़ने शहर भेजा और भेजो इनको पढ़ने, जब लड़कियां ज्यादा पढ़ लेती हैं तो ऐसी पढाई पढ़ती हैं। मैं तो कहती हूँ बारहवीं तक पढ़ ले लड़कियां बहुत है चूल्हा चौका करने के लिए एम.ए., बी.ए. पास होना क्या जरुरी है अपनी बिरादरी में। बदचलन कहीं की घर वाले तो कह रहे थे मर गई हमारे लिए, हम तो उसका पिंड दान ही कर देंगे और ना जाने क्या-क्या बोलते हुए साक्षी से प्रतिक्रया का इंतजार कर रही थी, साक्षी बीच-बीच में रुधन स्वर में हााँ-ना कर रही थी। तभी अचानक से पति ने सामने आकर उसकी नम आाँखों को पढ़ने की कोशीश की और आहिस्ता से उसके उँगलियों के बीच अपने हाथ की उँगलियों को डालते हुए उससे पछूा क्या हुआ ?
पति के पास आते ही उसके आाँखों से अश्रुधारा बहने लगी। कुछ सोचते हुई उसने कहा माँ कह रही थी कि अपने गांव का लड़का पड़ोस की लड़की के साथ भाग गया। कितने नाजों से पाला था उस लड़के को, कुल का दीपक था वो तो, सब का लाडला था, जिस चीज पर भी हाथ रखता है वो उसका हो जाता पर उसने अपने घर वालों की जरा भी फ़िक्र नही पाली तभी तो भाग गया मााँ-बाप के आाँखों में धूल झोककर, जग हसाई। घर वालों की भी गलती है वो सब कुछ पहले क्यों नही समझ पाए, ना जाने कब से चल रहा होगा ये सब, अरे। पूत के पांव पालने में ही आंक लिए जाते हैं कि नाम रोशन करेगा या डुबाएगा, बाहर भेजा था उसे पढ़ने, पढ़ाई में पानी की तरह पैसा बहाया उस लड़के पर आज उसके माता-पिता की आाँखे शर्म से झुक गई है अपने बिरादरी में किसी लड़के को भागने से पहले अपनी नही तो उस लड़की और उसके परिवार के बारे में, उसके इज्जत के बारेमें भागने से अच्छा था घर वोलों से बात कर लेता तो शायद सब मान जाते। कल्मुहा, भड़वा, बेशरम भाग गया किसी के जिगर के टुकड़े को लेकर। आज तो लड़के के मााँ-बाप का अभिमान चूर-चूर हो गया है। साक्षी की उँगलियों को जोर से दबाते हुए उसके पति ने कहा तुमने ठीक से तो सुना था ना माँ ने क्या कहा था, तुम सुन रही हो साक्षी मैं क्या पछू रहा हूँ तुम से? सोच में डूबी साक्षी को मानो किसी ने एक बार फिर झकझोर दिया हो, उसने गला सीधा करते हुए बड़ी तठस्थता से उत्तर दिया हाँ मैंने सुना माँ ने कहा था अपने गांव का बेहद बेशरम, बेहुदा लड़का अपने परिवार को सिसकता हुआ, खनू के आंसू पीने के लिए छोड़, किसी बाप के गिरेबान को कलंकित करके उसकी बेटी को लेकर भाग गया। आज कुल का चिराग कुल को कलंकित करके चला गया है आज एक लड़का भागा है। पति स्तब्ध खड़ा साक्षी की ओर टकटकी लगाकर ताकता रह गया और आश्चर्यबोध भाव चेहरे पर लिए धीरे से बड़बड़ाया आज एक लड़का भागा है।
परिचय : रजनी झा
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 hindi rakshak manch 👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.