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क्यों भूल जाते हो, “पालनहार” को

विशाल कुमार महतो
राजापुर (गोपालगंज)

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जिनके नाम का इस जगत में देख हुवा उजाला है ,
क्यो उनकों भूल जाते हो जिन्होंने तुमको पाला है ।
जिन्होंने तुमको पाला है।।

भले ही आगे बढ़ जायेगा दुनिया के व्यापार में ,
नहीं मिलेगी वो खुशी जो मिलती इनके प्यार में ।
कुछ नही मिलने वाला इस कलयुग के बाजार में ,
आज़ा फिर से लौटकर उन खुशियों के संसार में ।
छोड़ दिया वो दामन कैसे जो जनन्त से निराला है ,
क्यो उनकों भूल जाते हो जिन्होंने तुमको पाला है ।
जिन्होंने तुमको पाला है।।

जैसे जैसे तू बड़ा हुवा, उनका भी सपना खड़ा,
लेकिन वो सपना टूट गया , जब साथ तुम्हरा छूट गया
ढूढं रहे हो जो तुम वो अब आएगा ना हाथ मे ,
भूल गये वो दिन कैसे जो गुजरे उनके साथ में
दर दर ठोकर खाओगे वो दिन अब आने वाला है ।
क्यो उनकों भूल जाते हो जिन्होंने तुमको पाला है ।
जिन्होंने तुमको पाला है।।

तेरी खुशी देखकर जिन्होंने दुःख झेले है ,
दिल में अपनी देखले वो दोनों आज अकेले हैं।
भूल गए वो गम सभी देख तेरी एक मुस्कान से ,
आज भी चाहते हैं तुझको बढ़कर आने जान से।
जिनके पास दोनों है वो कितना किस्मत वाला है,
क्यो उनकों भूल जाते हो जिन्होंने तुमको पाला है ।
जिन्होंने तुमको पाला है।।

वो भूलने वाले आप है, और वो दोनों “माँ-बाप” है ।

 

लेख परिचय :- नाम – विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज)

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