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अच्छा होता मैं तेरी न होती

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रेशमा त्रिपाठी 
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश
तुम्हारे ही होठों की मुस्कान थी
तुमने छीन लिया
तुम्हारे ही ह्रदय की अनुराग थी
तुमने द्वेष भर दिया
तुम्हारी ही संवेदना थी
तुमने वेदना से भर दिया
तुम्हारे ही जिस्म की मधुशाला थी
तुमने धिक्कार दिया
तुम्हारे ही नयन की लव थी
तुमने बुझा दिया
तुम्हारी आत्मा थी तुमने अपमान किया
क्या? दोष था मेरा
जो इतना अपमान दिया
जब– जब प्यार से पुकारा तो मुस्कुरा दिया
जब हृदय से लगाया तो समर्पण भी कर दिया
फिर क्यों?
इतना वेदना से भर दिया
आज धिक्कारती हूं खुद को
क्यों? तुमसे प्यार किया
क्यों? वह निष्ठुर अपमान सही
अच्छा होता वैसी होती, जैसी तेरी संकल्पना थी
तब तू शायद मेरा होता, औ मैं तेरी न होती
रिश्ते भी फिर नीभ जाते
इस तथाकथित समाज में।।”
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परिचय :- नाम : रेशमा त्रिपाठी 
निवासी :
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश


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