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हम जैसे पागल

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मोहम्मद सलीम रज़ा
रीवा म.प्र.

हम जैसे पागल बहुतेरे फिरते हैं
आप भला क्यूँ बाल बिखेरे फिरते हैं

काँधों पर ज़ुल्फ़ें ऐसे बल खाती हैं
जैसे लेकर साँप सपेरे फिरते हैं

चाँद -सितारे क्यूँ मुझसे पंगा लेकर
मेरे पीछे डेरे – डेरे फिरते हैं

खुशियां मुझको ढूँढ रही हैं गलियों में
पर ग़म हैं की घेरे – घेरे फिरते हैं

ना जाने कब उनके करम की बारिश हो
और न जाने कब दिन मेरे फिरते है

 

परिचय :- नाम – मोहम्मद सलीम रज़ा
शायरी नाम – सलीम रज़ा रीवा
तख़ल्लुस – ”रज़ा”
जन्म स्थान – मध्य प्रदेश का रीवा ज़िला
जन्म दिन – १५.०७.१९७५
तालीम – उर्दू में स्नातक
नौकरी – ब्रान्च मैनेजर लाइफ़ इन्सुरेंस
रचना प्रकाशन – कई पत्र पत्रिकाओं में रचना प्रकाशित
रचना पाठ – आकाशवाणी में कई प्रकाशन, दूरदर्शन में रचना प्रसारण, कई मुशायरे एवं कवि गोष्ठी में रचना पाठ
रचना विधा – गीत, ग़ज़ल, क़तआत, नात – ए – मुबारिक, हम्द
उपलब्धि – महकते हुए फूल
प्रकाशन के लिए तैयार – गुलशन -ए -रज़ा


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