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बेटी हूं

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कुमार जितेन्द्र
बाड़मेर (राजस्थान)

हें! माँ
में आपकी बेटी हूं,
हें! माँ
में खुश हूं,
ईश्वर से दुआ करती हूं
आप भी खुश रहे,
ख़बर सुनी है
मेरे कन्या होने की,
आप सब मुझे
अजन्मी को,
जन्म लेने से
रोकने वाले हो,
मुझे तो एक पल
विश्वास भी नहीं हुआ,
भला मेरी माँ,
ऎसा कैसे कर सकती है ,
हें! माँ
बोलो ना
बोलो ना,
माँ – माँ
मेने सुना
सब झूठ है,
ऎसा सुनकर में
घबरा गई हूं,
मेरे हाथ भी
इतने नाजुक है,
की तुम्हे रोक
नहीं सकती,
हें! माँ
कैसे रोकू तुम्हें,
दवाखाने जाने से,
मेरे पग
इतने छोटे,
की धरा पर
बैठ कर
जिद करू,
हें! माँ
मुझे बाहर
आने की बड़ी
ललक है,
हें! माँ
मुझे आपके
आगन को,
नन्हें पैरो से
गूंज उठाना है,
हें! माँ
में आपका
खर्चा नहीं बढ़ाऊँगी,
हें! माँ
में बड़ी दीदी की,
छोटी पड़ी पायजेब
पहन लूंगी,
बेटा होता
तो पाल लेती तुम,
फिर मुझमे
क्या बुराई है,
नहीं देना
दहेज,
मत डरना
दुनिया से,
बस मुझे
जन्म दे दो,
देखना माँ
मेरे हाथों,
मेहंदी सजेंगी,
मुझे मत मारिए,
खिलने दो,
फूल बन के,
हें! माँ,
में आपकी बेटी हूं,
.

लेखक परिचय :- नाम :- कुमार जितेन्द्र (कवि, लेखक, विश्लेषक, वरिष्ठ अध्यापक – गणित)
माता :- पुष्पा देवी
पिता :- माला राम
जन्म दिनांक :-०५. ०५.१९८९
शिक्षा – स्नाकोतर राजनीति विज्ञान, बी. एससी. (गणित) , बी.एड (यूके सिंह देवल मेमोरियल कॉलेज भीनमाल – एम. डी. एस. यू. अजमेर)
निवास – सिवाना, जिला – बाड़मेर (राजस्थान)
सम्प्रति :- वरिष्ठ अध्यापक
सम्मान :- विभिन्न संस्थाओ द्वारा काव्य, आलेख लेखन में अब तक ४२ सम्मान पत्र l
प्रकाशन :- विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में संपादकीय पृष्ठ पर विश्लेषण, कविताएँ प्रकाशित l


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