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मां तू जग में महान

रूपेश कुमार
(चैनपुर बिहार)

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मां अम्बे तू गौरी,
तेरे ही रूप अनेक,
तू तीनों लोको में प्रसिद्ध ,
सबकी इक्शा पूर्ण करने वाली,
नव नामों से तू पुकारी जाती,
प्रथम तू शील तपस्या से परिपूर्ण,
शैलपुत्री से जानी जाती,
दूसरी ब्रहा जी की स्वरूप प्राप्त,
ब्रह्मचारिणी से प्रसिद्ध हुई,
तीसरी तू चन्द्र घंटा में स्थित,
चंद्रघंटा से चरीचार्थ हुई,
संसार जिनके उदर में स्थित हो,
उस देवी के चौथे रूप कूष्माण्डा से जानी जाती,
मां शक्ति से उत्पन्न , सनतकुमर के नाम से,
पाचवी रूप को स्कंदमाता से प्रसिद्ध हुई,
महर्षि कात्यायन के आश्रम से प्रकट हुई,
मां के छठे रूप को कात्यायनी कहते है,
सब दुष्टों को संहार करने वाली काल के रात्रि,
मां के सातवें रूप को कालरात्रि कहते है,
महान गौरवपूर्ण तपस्या द्वारा प्राप्त,
मां के आठवीं रूप को महागौरी कहते है,
तीनों लोको में सबको मोक्ष प्रदान करने वाली,
मां के नवे रूप को सिद्धिदात्री के नाम से जानते हैं,
नवरात्र में नौ रूपों के नाम से प्रसिद्ध,
तेरे रूप तीनों लोको में प्रसिद्ध,
तू मां संसार में महान,
तू दुःख हरनी मां , तू सुख करनी,
तेरे पूजन तेरे सारे जीवन का उद्धार होता,
मां तू जग में महान।

लेखक परिचय :- 
नाम – रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार
शिक्षा – स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
निवास – चैनपुर, सीवान बिहार
सचिव – राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान
प्रकाशित पुस्तक – मेरी कलम रो रही है
कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त !


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