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बापू तेरे तीन बंदर

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विनोद सिंह गुर्जर
महू (इंदौर)

बापू तेरे तीन बंदर।
पड़े कैद में देखो अंदर।।…

बुरा मत बोलो

बुरा बोलने वाले आगे,
सत्य बोलने वाले भागे।
गुरूओं का अपमान हो रहा,
चेलो के अब भाग्य जागे।
मतलब में सब तैर रहे हैं।
बिन हाथों के पैर रहे हैं ।

बुरा मत देखो

बुरा देखना ही पड़ता है।
अच्छा घूरे पर सड़ता है।।
एक तरफ मानवता रोती,
छप्पन भोग श्याम चड़ता है।
पत्थर से आशाऐं जोड़ी।
लालच की चूनर ओढ़ी।।

बुरा मत सुनो

बड़ा मजा है, निंदा करना ।
अपनों को शर्मिदा करना।।
गंगा को मैली बतलाकर,
दाग दिखाकर चंदा करना।।

अच्छा है तू आज नहीं है।
बेशर्मों को लाज नहीं है।।
राम वेश में रावण यहां पर।
लक्ष्मण नजरें सीता मां पर।।
पैसे के सब आज पुजारी।
दया भाव ना, बस गद्दारी।।

गांधी जी शत नमन तुम्हें है।
सत्य हिंद से दमन तुम्हें है।।

परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता रही है।


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