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शायरी

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शिवम यादव ”आशा” (कानपुर)

चलो हम सब मिलकर
आज कुछ नया करते हैं
नजरें मिलाकर गैरो को
अपना करते हैं

किसी के साथ रहकर
जिंदगी गुज़ार लेना
मगर अकेले कभी मत रहना

सारे गम भुलाकर अपने में खो जाना
मगर इस दुनियां से कुछ भी न छुपाना

गलतियों से मुझे सीख मिलती गई…
जिन्दगी कोरे पन्नों पर लिखती गई…

आजकल लोग मुझसे न जाने क्यों
उम्र पूँछ रहे हैं
क्या उम्र के सहारे ही
रिश्ता जोड़ रहे हैं

कोई अल्फ़ाज़ में मेरे
खुशी के गीत गाता है
चलो हम दूर रहते हैं
कोई तो मुस्कुराता है
यहाँ की महफ़िलो में
हम अकेले शख्स हैं ऐसे,
जो गमों के ज़ाम पीकरके
खुशी के गीत गाता है

वो घूम रहा है प्रेम पत्र का
समर्पण हाथों में लिए
दुश्मन रुपी घूम रहे हैं
उसके पीछे हाथों में तलवार लिए

किसी के दिल की मायूसी
हमारे साथ रहती है
वो दिनभर तो हँसती है
शाम को उदास रहती है

तेरी चाहत को बड़ी
गहरी खदानो में पाया,
हुआ कितना नफ़ा
और नुकसान न जाना,

इश्क में खामियाँ
उसके पाई नहीं…
बीच में मेरे क्यों
दूरियाँ हैं बनीं…
जिंदगी के बिना
चैन थम जाएगा,
नींद बिन साथ
सोए है आती नहीं…

मुझे न तेरी फ़िकर
उसे न मेरी फ़िकर
बस हर रोज़ करते ही रहो जिकर

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लेखक परिचय :-  नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ”आशा” है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !!
काव्य संग्रह :- ”राहों हवाओं में मन”

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