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पार होती हदें

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शिवम यादव ”आशा” (कानपुर)

जिसका खाना खाने में
  कलेज़ा दुख रहा हो
सोचो वो अन्दर ही अन्दर
   कितना रोया होगा,
.
 जिस पुत्र को उसका ही
     पिता मर जाने की
सलाह दे चुका हो और वो
   अभी तक जी रहा हो
सोचो उसका हाल कैसा होगा,
.
जो पुत्र पिता की तेल मालिश
करते-करते पसीने से नहा
चुका हो सोचो उसका
   परिणाम कैसा होगा,
.
वो कैसा पुत्र है जिसे
अपने आप को प्रयोग
करने तक का अधिकार
न हो और दूसरों के काम
और मदद के लिए सदा
तत्पर्य हो सोचो उसका
साहस कैसा होगा,
.
जो कभी पिता को लौटकर
जवाब न देना चाहता हो
उसे कठिन यातनाओं के
साथ पाला जा रहा हो
सोचो उस पर क्या बीत
रहा होगा,
वो इतनी यातना भरा
जीवन जी रहा है कि
उसकी हैसियत घर में
नौकर से भी बदतर है
सोचो उसके दिल पर
कितनी आवाजों का
बोझ होगा,
कितनी और हदें पार होगीं
.
लेखक परिचय :-  नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ”आशा” है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !!
काव्य संग्रह :- ”राहों हवाओं में मन”

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