Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

देखा है

**********

रचयिता : नेहा राजीव गरवाल

हर रोज़ सवारते हो, जिस्म को…….
उतर कर इसकी गहराई मे,
कभी अपनी रूह को देखा है???

जानते तो,हो खुद को….
मगर कभी अपनी जिम्मेदारियों को,
अपनो के बीच,चटृानो की तरह
मजबूत बना कर देखा है।

पता तो सब है, सब को …..
मगर जब रुठ जाते हे, इरादे खुद से,
हाँ,वक्त के उन बदलते हालातो मे
क्या कभी, मुसकुराकर देखा है???

चलो पढ़ तो लिया है, इस पागल की
लिखी इन बातो को….
मगर जो गहराई हे इन बातो की,
कभी उसमे उतर कर देखा है???

.

लेखीका परिचय :- नेहा राजीव गरवाल दूधी (उमरकोट) जिला झाबुआ (म.प्र.)


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *