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सच कहूं

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रचयिता : अमित राजपूत

सच कहूं पहले वाला जमाना
बड़ा अच्छा था !
जहां दया प्रेम भाव और हर आदमी
बड़ा सच्चा था !
सच कहूं पहले वाला जमाना
बड़ा अच्छा था !
.
जहां  मिल बांट कर पी लेते थे
एक बटा दो चाय
किसी नुक्कड़ पर बैठकर !
लोगों  मैं एक दूसरे के प्रति वह
इमानदारी प्यार बेशुमार था !
सच कहूं पहले वाला जमाना
बड़ा अच्छा था !
.
ना फेसबुक  था ना स्टाग्राम था
नाही ही व्हाट्सएप था !
बस था तो उस चिट्ठी को लेकर आने वाले
डाकिए का इंतजार था !
सच कहूं पहले वाला जमाना
बड़ा अच्छा था !
.
ना डिस्को क्लब थे ना बड़े बड़े मॉल
ना ही मनोरंजन के साधन थे !
जहां छोटे-छोटे रंगमंच और रामलीला में
बिखरता वह प्यार  था !
सच कहूं पहले वाला जमाना
बड़ा अच्छा था !
.
किसी के दुख परेशानी में इकट्ठा
हो जाते थे जहां हजारों  लोग !
जहां लोगों में आपसी सदभावना
प्रेमभाव का अंबार था !
सच कहूं पहले वाला जमाना
बड़ा अच्छा था
.
लेखक परिचय :- अमित राजपूत उत्तर प्रदेश गाजियाबाद


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