Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

माँ 

**********

रचयिता : कंचन प्रभा

वो महिला है, जो दर्प हो सकती है।
वो वनिता है, जो परित्यक्ता हो सकती है।
वो दुहिता है, जो अनाथ हो सकती है।
वो कलत्रा है, जो विधवा हो सकती है।
वो सलिल है, जो कृशानु हो सकती है।
वो निरधि है, जो व्याकुल हो सकती है।
वो ध्रुवनंदा है, जो मलिन हो सकती है।
वो सविता है, जो अस्त हो सकती है।
वो उर्वी है, जो नष्ट हो सकती है।
पर वो माँ है, जो निर्मम नहीं हो सकती है
.
लेखिका का परिचय :- कंचन प्रभा
निवासी – लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार

आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com  कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने मोबाइल पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक से जुड़ने के लिए अपने मोबाइल पर पहले हमारा नम्बर ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *