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रचयिता : अंजुमन मंसूरी’ आरज़ू’
आधार छंद – सार/ललित छंद
जलता है खुद दीपक सा पर, ज्ञान प्रकाश दिखाता ।
बांट के अपना सब सुख जन में, आनंदित हो जाता ।
इसके बदले शिक्षक जग से, देखो क्या पाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
इंद्रासन ना ले ले तप से, मधवा भय से बोला ।
अहिल्या गौतम के अमृत से, जीवन में विष घोला ।
विश्वामित्र की भंग तपस्या, छल से करवाई थी ।
सत्ता रक्षा को पृथ्वी पर, इंद्र परी आई थी ।
काम क्रोध मद लोभों का फिर, दोष मढ़ा जाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
नेतृत्व से परिपूर्ण बनाके, गढ़ता कितने नेता ।
मंत्री हो या भूप सभी को, रुप यही हे देता ।
पर सत्ता धारी बनते ही, लोग मदांध हुए हैं ।
काट दिए सिर उनके जिनके, झुक कर पांव छुए हैं ।
शस्त्र निपुण कर देने वाला, वाण यहां खाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
नंद वंश ने एका की जब, बात एक ना मानी ।
चंद्रगुप्त सा शासक गढ़ के, याद दिलाई नानी ।
राजा की रक्षा का उपक्रम, दुर्घटना बन आया ।
बिंदुसार ने माँ की हत्या, का आरोप लगाया ।
अपने ही निर्मित शासन को, छोड़ चला जाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
राष्ट्र निर्माता कहाता पर, अधिकार सभी छीने ।
बोलो कैसे चमका पाएं, तराशे विन नगीने ।
हाथ बांधकर कहते हैं ये, मटका गोल बनाओ ।
खरपतवार बिना काटे ही, स्वस्थ फसल उपजाओ ।
क्या कोई पतवार बिना उस, पार उतर पाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
सेबा सेबा कह कर देखो, खूब जमाते सत्ता ।
छल से चलते पाते मोटा, वेतन पेंशन भत्ता ।
मान नहीं जिनका कोड़ी का, वो खुद को पुजवाते ।
सच्चे सेवक शिक्षक पर, झूठे दोष लगाते ।
निंदा प्रस्तावक बन निंदित, नेता ही आता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
जलता है खुद दीपक सा पर, ज्ञान प्रकाश दिखाता ।
बांट के अपना सब सुख जन में, आनंदित हो जाता ।
इसके बदले शिक्षक जग से, देखो क्या पाता है ।
हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥
लेखिका परिचय :-
प्रकाशन का विवरण – दैनिक भास्कर, पत्रिका जैसे देश के लगभग सभी हिंदी भाषी राज्यों की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं से ग़ज़ल, कविताएँ, लघुकथाएँ आदि शताधिक रचनाएं प्रकाशित। संचार क्रांति के युग में, हिंदी रक्षक मंच (हिंदी रक्षक. कॉम), हिंदी भाषा डॉट कॉम, हिंदी प्रतिलिपि, स्टोरी मिरर, आदि अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त वेबसाइटों से भी लगातार प्रकाशन।
प्रख्यात व्यंगकार हरिशंकर परसाई जी के शिष्य श्री श्याम मोहन दुबे जी की शिष्या होना।
अपनी ग़ज़लों की प्रशंसा में,प्रसिद्ध ग़ज़लकार श्री राजेंद्र रहबर जी का पत्र प्राप्त होना,उनका काव्य संग्रह ‘याद आऊंगा’ उपहार में प्राप्त होना।
विश्व हिंदी संस्थान कनाडा की ग्लोबल बुक ऑफ लिटरेचर रिकॉर्ड २०१९ में विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय १११ महिला साहित्यकारों की सूची में स्थान प्राप्त होना आदि ।
सम्मान प्राप्ति – परिजनों और मित्रों के स्नेह आशीर्वाद के अतिरिक्त
१ – पाथेय सृजनश्री अलंकरण सम्मान (जबलपुर म•प्र•)
२ – अनमोल सृजन अलंकरण(नेशनल मीडिया फाउंडेशन दिल्ली द्वारा)
३ – गौरवांजली अलंकरण 2017 जिला छिंदवाड़ा मप्र
४ – साहित्य अभिविन्यास सम्मान
५ – काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान 2018,
६ – मातृत्व ममता सम्मान
७ – शब्द श्री द्वारा संचालित शीर्षक साहित्य परिषद् से सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान
८ – राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा सर्वश्रेष्ठ कवयित्री सम्मान
९ – साहित्य संगम संस्थान द्वारा संचालित संगम सुवास नारी मंच से श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान ।
१० – राष्ट्रीय कवि चौपाल शाखा दोसा द्वारा साहित्य शारदा सम्मान ।
११ – अखिल भारतीय साहित्य परिषद, इकाई विराटनगर द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान
१२ – महफिल ए गजल साहित्य समागम से श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान आदि।
अनेक मंचों से श्रेष्ठ साहित्यकार सम्मान।
जीवन से सम्बंधित – ७५ प्रतिशत दृष्टि बाधित होते हुए भी सामान्य जीवन जीना इन्हें विशिष्ट उपलब्धि लगता है। आप बताती है कि “मैं अपनी माँ की साधना का परिणाम हूँ, जिन्होंने स्पर्श के माध्यम से मुझे अ से ज्ञ तक पहुंचाया।”
लेखन में बहुत से तत्व समाहित होते हैं, पीड़ा सबसे प्रमुख है । सुख और दुख की मिश्रित अभिव्यक्ति इनके साहित्य सृजन की प्रेरणा है । पिता का संघर्षपूर्ण जीवन, और फिर स्वयं इनके जीवन में चुनौतीपूर्ण संघर्ष का आना, इनका संघर्ष में माता-पिता का सहभागी बनना, माता-पिता से अपने दुख को छुपाना, खुश दिखना, हौसलों की बातें करना, और हौंसलों की बातें करते-करते सचमुच हौसला पा जाना, यह सब इनके लेखन की प्रेरणा रहे हैं ।
निजी संदेश –
मंजिल बाहें खोल खड़ी मुश्किल की देहरी पार।
मुश्किल से न हार अरे तू पहन विजय के हार॥
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