Monday, November 25राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

आज तीज है तुम्हारा

***********************

रचयिता : शशांक शेखर

अच्छा आज तीज है तुम्हारा

निर्जल उपवास रखोगी

मेरी लम्बी उम्र के लिए

तो इसके बदले उपहार चाहिए तुम्हें

व्रत के बहाने मेरी जेब ढीली चाहिए तुम्हें

उपहार में सदमा दूँ तुम्हें

हृदय को बेधड़क कर दूँ तुम्हारी

चलो रहने दो

तुम्हारे पापा को हृदय रोग है

कहीं अनुवंशिकता हुयी

और कुछ हो गया तुम्हें

तब तो मेरे बुढ़ापे की

शाम अधूरी रह जाएगी

क्या करूँ बहुत पेट में दर्द हो रहा है

इच्छा हो रही है बता ही दूँ तुम्हें

अपने पेट का दर्द कम कर ही लूँ

अच्छा सदमे की तरह नहीं

कहानी की तरह सुनाता हूँ तुम्हें

एक बात बतानी है

हौले से बता ही देता हूँ तुम्हें

तुम्हें याद हैं चलचित्र निर्माता यश चोपड़ा

जिनकी कई अनमोल कृतियाँ हैं

सिलसिला अभिमान और ना जाने कितनी

उनमें से एक है दिलवाले दुल्हनियाँ ले जाएँगे भी है

हमारे किशोरावस्था के चलचित्र

यूँ तो हम हम हैं

ख़ुद में अनोखे

हमें किसी की नक़ल की कोई ज़रूरत नहीं

लेकिन जैसे हर साल तुम तीज का व्रत करती हो

मेरी लम्बी उम्र के लिए हो

समाज की मर्यादाओं के लिय हो

या शायद प्रेम की अभिभूति के लिए

जो भी हो

मुझे जो किंचित पसंद नहीं

हर साल महिलाएँ

अपना तन जला कर यह व्रत करती हैं

फिर भी जिसका बुलावा आता है

जाना ही पड़ता है उसे

फिर क्यूँ यह त्याग

क्यूँ शारीरिक पीड़ा

और पुराण के जिस मुहाने से

यह कथा और पूजन प्रचलित है

वहाँ तो माता पार्वती ने

शिव जी को पाने की इच्छा से यह व्रत किया है

तुम तो पा चुकी हो मुझे फिर

पंडाओं के मकर जाल में

क्यूँ फँसती हो

देखो चाहे कितने भी

हम इंसान बुरे हों

भूखे तो नहीं देख सकते

आस्था के नाम पर भी

बहुत चाहा समझाना तुम्हें

लेकिन तुम समझ नहीं पायी

आज तीज के दिन हमने भी उपवास रखा है

बार बार तभी पुछ रहे हैं

कुछ खा लो

के हम भी खा सकें

तुम्हारे इतने दृढ़ निश्चयी नहीं हैं

इसलिए दिन भर चाय पी है

जबकि हमें मालूम है के

तुम तो पानी भी नहीं पी होगी

हम इस तरह थोड़े थोड़े भूखे रह कर

दिल वाले दुल्हनिया ले जाएँगे की भाँति

थोड़े शाहरुख़ थोड़े शशांक बन कर रह गए

लेकिन सुनो हर साल यह नहीं चलेगा

यह पूजन अब बंद करना ही होगा तुम्हें

तुम्हें जब उपवास बहुत सताए

खा लेना

और मुझे भी बता देना

के हम भी खा सके

आधी उम्र निकल गयी

इस उम्र में इस से ज़्यादा हेरोगिरी नहीं होगी हमसे

और नहीं करो व्रत ऐसा

हो जाए भले ही तुमसे

हमारे जी को नहीं सुहाता

क्या इतनी समझ नहीं आती तुम्हें

सुनो अगले तीज से हम सेवियाँ

बना कर अनाथालय में बाँटा करेंगे

बेवजह जिनके भाग्य में रोज़ तीज है

तीज के दिन उनका पारन कराएँगे हम दोनो

इसपर तो कोई आपत्ति नहीं तुम्हें

दोनो करेंगे ऐसा नहीं कहना है तुम्हें

अच्छा आज तीज हाई तुम्हारा

निर्जल उपवास रखोगी

मेरी लम्बी उम्र के लिए

तो इसके बदले उपहार चाहिए तुम्हें

व्रत के बहाने मेरी जेब ढीली चाहिए तुम्हें

उपहार में सदमा दूँ तुम्हें

 

लेखक परिचय :- आपका नाम शशांक शेखर है आप ग्राम लहुरी कौड़िया ज़िला सिवान बिहार के निवासी हैं आपकी रुचि कविताएँ आलेख पढ़ने और लिखने में है।

आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com  कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने मोबाइल पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक से जुड़ने के लिए अपने मोबाइल पर पहले हमारा नम्बर ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *