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राज

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रचयिता : डॉ. अर्चना राठौर “रचना”

ये राज न कोई जान सका , दुनियाँ ये कैसे चलती है ,
दिन – रात ये कैसे होते हैं और घूमती कैसे धरती है|

ये राज न कोई जान सका, क्यों सूरज आग उगलता है ,
क्यों चाँद ये घटता – बढ़ता है, कैसे शीतलता देता है |

साइंस ने राज ये खोल दिया, कि धरती कैसे घूमती है ,
सूरज क्यों आग उगलता है, ये चाँद क्यों घटता-बढ़ता है|

पर क्या ये साइंस बता सका कि क्यों केदारनाथ शेष रहा ,
क्यों दैदीप्यमान ज्वालादेवी,क्यों गौमुख से जल बह रहा |

धरती क्यों गोल-गोल घूमें , किस पर आखिर ये टिकी हुई ,
क्यों आसमान नीला दिखता , क्यों दिखे है बादल जैसे रुई |

क्या राज ये कोई जान सका, क्यों सागर में ही हैं मोती ,
क्यों सोना उगले ये धरती, क्यों इस पर ही होती खेती |

गर साइंस में इतनी है शक्ति, तो आसमान में करें खेती |
क्या राज ये कोई जान सका, क्यों नारी ही सृष्टि कर्त्री |

लेखिका परिचय :-
नाम – डॉ. अर्चना राठौर “रचना” (अधिवक्ता)
निवासी – झाबुआ, (म.प्र.)


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