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बंद आँखों से सितारों का जहाँ देख रहे हो

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रचयिता : मुनीब मुज़फ्फ़रपुरी

यहाँ से तुम खड़े हो कर के कहाँ देख रहे हो
पता है किसने दी नज़रें जो जहाँ देख रहे हो
बज़मे जाना में जो बैठोगे तो खाओगे ज़ख़्म
ये सही है के वहीं देखो जहाँ देख रहे हो
इस तरह खोए हुए हो कहाँ आकाश में तुम
बंद आँखों से सितारों का जहाँ देख रहे हो
तुम बहुत देर से कोशिश में हो पढलो मुझको
क्या नजूमि हो,मेरा दर्द ए नहाँ देख रहे हो
वो नज़र फेर रहा है अजीब तुम हो मगर
तुम यहाँ देख रहे हो के वहाँ देख रहे हो
लेखक परिचय :
नाम: मुनीब मुजफ्फरपुरी
उर्दू अंग्रेजी और हिंदी के कवि
मिथिला विश्वविद्यालय में अध्ययनरत, (भूगोल के छात्र)।

निवासी :- मुजफ्फरपुर

कविता में पुरस्कार :-
१: राष्ट्रीय साहित्य सम्मान
२: सलीम जाफ़री अवार्ड
३: महादेवी वर्मा सम्मान
४: ख़ुसरो सम्मान
५: बाबा नागार्जुना अवार्ड
६: मुनीर नियाज़ी अवार्ड

आने वाली किताबें :-
१: माँ और मौसी (उर्दू और हिंदी ग़ज़ल)
२: रिदम की दुनिया (अंग्रेजी कविता)
३: भूत नाथ रिटर्न (अंग्रेजी उपन्यास)


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