Sunday, September 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

विराम

==========================

रचयिता : संगीता केस्वानी

सदियों पुरानी रीत है बदली,
एक तरफा ये जीत है बदली,
है विराम मेरी बेबसी का,
है लगाम तेरी नाइंसाफी का,,
न पर्दे से इनकार है,
ना संस्कारो से तक़रार है,
अब अपने फैसलों का मुझे भी अधिकार है,
रौंद सके मेरे जीवन को तुझे अब न ये इख्तियार है,,
अब ना अश्क-ऐ-आबशार होगा,
ना हर पल डर का विचार होगा,
सुखी -नुष्चिन्त हर परिवार होगा,
मेरे भी हक़ में ये बयार होगा,,
सायरा, गुलशन इशरत,आफरीन, आतिया का संघर्ष रंग लाया,
मजबूरी से मज़बूती की जंग का सुखद परिणाम आया,,
ना हूँ केवल वोट-बैंक या ज़ाती मिलकीयत,
अब जाके पाई मैंने भी अपनी अहमियत,,
तुम सरताज तो मैं शरीके-हयात,
पाख ये रिश्ता-ऐ-निकाह ना होगा तल्ख तलाक से तबाह,
न तलाक-ऐ-बिददत,
ना तलाक-ऐ-मुग़लज़ाह,
कर पायेगा इस रूह-ऐ-पाख का रिश्ता तबाह,
सो मेरी जीत मैं तुम्हारी जीत,
और तुम्हारी जीत में मेरी शान।।
लेखिका परिचय :- संगीता केस्वानी

आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com  कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने मोबाइल पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक से जुड़ने के लिए अपने मोबाइल पर पहले हमारा नम्बर ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *