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पल  में  रच  दिया  संसार को 

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रचयिता : मुनव्वर अली ताज

जिस  ने  पल  में  रच  दिया  संसार को
पूजिए    उस     एक     रचनाकार   को

वो   ही     जाने   आत्मा    के   भार को
जिस  ने   बाँटा   साँस   के  उपहार  को

जो   भी    मानेगा    तिरे      आभार को
वो    ही     जानेगा   जगत   निस्सार को

वो    शिलाओं  में   समा    सकता   नहीं
कैसे   दें       आकार   निर – आकार  को

बंद        कर लो अपने   नयनों के  कपाट
और      खोलो  अपने     मन के द्वार  को

तुम  हृदय   से   माँग  लो  उस  से     क्षमा
मोड़    देगा    वो समय     की   धार   को

जो   वो   चाहेगा    वही       होगा      सदा
कौन     रोकेगा    भला      करतार      को

है   सफलता    उस के  चरणों में  ही ‘ताज’
ले  चलो   उस की   शरण    में  हार     को

 

लेखक का परिचय :- मुनव्वर अली ताज उज्जैन


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