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रचयिता : रीतु देवी
वीर रस गीत
वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् गाते रहेंगे।
सीमा पार घुसपैठियों को न आने देंगे।।
हम संतान हैं वीरांगनाएं माताओं की
मुँह तोड़ जवाब देगें शत्रुओं की गोलियों की
चिंगारी बन हम राख कर देंगे हर कैम्प दुश्मनों के
बुरी नजर फोड़ मुस्कान लाऐंगे होठों माँ-बहनों के
वन्दे मातरम् ,वन्दे मातरम् , वन्दे मातरम् गाते रहेंगे।
सीमा पार घुसपैठियों को न आने देंगे।।
हर प्रहार सहेंगे भारतभूमि शान वास्ते हँसते-हँसते
आँच न कभी आने देंगे माँ भारती पर सस्ते-सस्ते
निकल बाहर आऐंगे रिपुओं के चक्रव्यूह तोड़कर
जश्न मनाऐंगे बुरे मंसूबों पर पानी फेरकर
वन्दे मातरम् ,वन्दे मातरम् , वन्दे मातरम् गाते रहेंगे।
सीमा पार घुसपैठियों को न आने देंगे।।
याद दिलाकर छठी का दूध धूल चटा देंगे युद्ध मैदान में
सबक सिखाकर थर -थर रूह कंपा देंगे शैतान के
मौत की नींद सुला देंगे आन,बान,शान खातिर
होने न देंगे अब कभी उनको भारतमाता की जागीर
वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्,वन्दे मातरम् गाते रहेंगे।
सीमा पार घुसपैठियों को न आने देंगे।।
ललचते हैंदेख-देख वे, ललचाते रहेंगे
गूंजती हैं मधुर स्वर लहरियाँ, गूंजते रहेंगे
भारत देश हमारा है, हमारा ही रहेगा
स्वर्ग यहाँ है, यहाँ ही रहेगा
वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् गाते रहेंगे।
सीमा पार घुसपैठियों को न आने देंगे।।
लेखीका परिचय :- नाम – रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार
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