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कैसा  है, क्यूँ  है, क्या है?

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रचयिता : मुनव्वर अली ताज

कैसा  है, क्यूँ  है, क्या है? सवालों का हल नहीं
ग़म को समझना    दोस्तों   इतना  सरल    नहीं

ग़म  गैस  नहीं ,  ठोस  नहीं  और    तरल   नहीं
ग़म की   परख   में कोई  अभी तक सफल नहीं

जीवन   मिटा दें    ऐसे   कई     ज़ह्र    हैं   मगर
ग़म   को  मिटा  सके  कोई   ऐसा  गरल    नहीं

जो  दे   खुशी   हमेशा ,  हमें    ग़म  न  दे  कभी
आदि  से  आज   तक   कोई   ऐसी  ग़ज़ल नहीं

मैं  पी  चुका  हूँ   दर्द के सागर     को   इस लिए
ग़म  के    दबाव    से   मेरी   आँखें सजल  नहीं

ग़म  से   हरी भरी  हैं  ये   कागज़   की    खेतियाँ
जल  है  ये  रोशनाई   का  ,  वर्षा   का जल  नहीं

जो  ‘ताज’  है    उसी  पे  ही  उठती   हैं  उँगलियाँ
कीचड़   बिना    खिले   कोई   ऐसा  कमल  नहीं

 

लेखक का परिचय :- मुनव्वर अली ताज उज्जैन


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