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नीर

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रचयिता : रीतु देवी

जब से तुझसे जुदा हुयी,
पानी की तरह अनवरत आँसू बहती रही।
लाख कोशिशों बाबजूद न छुपा पाती,
बूंद इसके मोती बनकर सबके समक्ष बिखर जाती,
हाल ऐ दिल बहुत नाजुक है साजन,
काजल भी बह जाए इन नयनों से
पानी बनकर साजन।
लगता है जैसे समंदर बना है मेरे नयनों में
तेरी याद में लहरें उठती रहती हैं सपनों में
क्या करूँ कुछ समझ न पाऊँ?
हाल ऐ दिल मैं किसे सुनाऊँ।

 

लेखीका परिचय :-  नाम – रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार


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