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रचयिता : रीतु देवी
सावन आयो रे
मास मनभावन आयो रे
हरी हरी चादर बिछी चहुँ ओर,
प्रफुल्लित तन मन नाचे होकर विभोर।
सावन आयो रे
मास मनभावन आयो रे
सब सखी हिलमिल झूले झूला,
प्रेम पंखुरी सबके अंतर्मन खिला।
सावन आयो रे
मास मनभावन आयो रे
बरसे रिमझिम वर्षा फुहार,
पग बढ चले शिव जी द्वार।
सावन आयो रे
मास मनभावन आयो रे
शिव जी से मांगे सजनी,
सजना का प्यार बेशुमार
आकर भोले बाबा धरा पर,
भक्तों को दें मनवांछित उपहार।
सावन आयो रे
मास मनभावन आयो रे
दिल में बजे नव धुन की शहनाई
हरकर सूखापन सबने ली आंगराई।
सावन आयो रे
मास मनभावन आयो रे
लेखीका परिचय :- नाम – रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार
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