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तलाश

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रचयिता : श्रीमती मीना गौड़ “मीनू माणंक”

४ बज गई ….. सभी सहेलियाँ एकता के घर पहूँच गई थीं ,,,,,
आशा :- अरे अन्नू ,,,,, शीला नहीं आई ,,,,
हाँ, आशा भाभी, वो अपनी बेटी के घर गई है।
सुधा :- अरे कुछ समय पहले ही तो गई थी ,,,,,, पूरे २० दिन में आई थी।
क्या करे बैचारी, खुशी ढूंढती रहती है। गहरी सांस लेते हुऐ रमा ने कहा।
मैं नहीं मानती ,,, अरे घर हमारा है ,,, तो हम क्यों छोड़े अपना घर ,,,,,,, भाई पूरी ज़िंदगी का निचोड़ है ये आज ,,,,,, अब तो सुख भोगने के दिन है।
कल कि आई लड़की के लिए तुम क्यों अपना घर छोड़ती हो ,,,,,
यहाँ तो शीला ही गलत है, बेटा हमारा है, फिर क्यों हम किसी ओर से उम्मीद रखें —–
बड़े आत्म विश्वास के साथ आशा ने कहा था ,,,,,,,
बैग में कपड़े रखते हुए आशा को ये सारी बातें याद आ रही थी ,,,,,,, अब समझ में आ रहा था कि ,,,,, भरा-पूरा परिवार, बेटा-बहु, पोते-पोती के होते कोई कैसे अकेला हो सकता है।
बाहर से दिखने वाली खुशहाली, अंदर से कितनी खोखली होती है… आज आशा को शीला की चुप्पी समझ आ गई थी …..
बच्चों की वो मस्ती, शरारतें, प्यार सब कुछ तो था उस छोटे से घर में ,,,,,,
पर हम सपनें देख रहे थे बडे घर के, जो पूरे हो कर भी अधूरे रह गये ,,,,,
अकेलापन वा खामोशी को समेटे आशा घर से दूर जा रही थी ख़ुशी की तलाश में ,,,,,,,,
आज एक माँ ठगी सी रह गई ।
अपनों के बीच अकेली रह गई ।।

लेखिका परिचय :- 
नाम – श्रीमती मीना गौड़ “मीनू माणंक”
सदस्य – इंदौर लेखिका संघ (पंजीकृत)
शुभ संकल्प – कई प्रतिष्ठित अखबारों में रचनाओं का प्रकाशन, व विभिन्न पत्र-पत्रिकाओ में लेख वा रचनाऐं प्रकाशित
लेखन विधा – कहानीयाँ, कविता, लेख, लघुकथा, हायकू ,बालसाहित्य।
प्रकाशित रचनाएं 
लेख – भारत रत्न अमर अटल, देश की गुल्लक, वीर जवान आदि।
कहानियाँ – ममता, पवित्र प्रेम, उपहार ज़िदंगी का आदि।
कविताएं – मन की उड़ान, वो भूलि दांस्ता, नारी शक्ति, ग़म का सहारा, दुपट्टा मलमल का, मिट्टी की दीवारें, हे बैकुंटवसी, किताबें आदि। कविता “आखिर कौन हो तुम”  कलमकार मंच पुस्तक में चयनित व प्रकाशित।

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