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कुछ बातें अनकही सी

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रचयिता : रुचिता नीमा

कुछ बातें
अनकही सी, अनसुनी सी
हर बार रह जाती है
बताना चाहती हूँ बहुत कुछ
और बहुत कुछ जानना भी
हर बार कोशिश करती हूँ
पर न जाने क्यों
तुम्हारे सामने आते ही
सब कुछ, वही का वही
रह जाता है
कहना होता है कुछ और
और कुछ और ही बयां हो जाता है
पर जो कुछ भी हो, बस सार यही है,
की तुम खुश रहो
जहाँ भी रहो।।।।।।
मैं तो हमेशा तुम्हें, तुम्हारी परछाई में
नजर आऊँगी।।
बस एक बार दिल की आँखों से देख लेना …..

लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।


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