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यार से दूर

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रचयिता : डॉ. इक़बाल मोदी

संभल कर चलता हूँ गिरती हुई दीवार से दूर।
हाँ मगर शहर में रहता हूँ मै दो चार से दूर।
हर वक़्त कदम दर कदम धोके है इस जहान में,
हमेशा जीत की कोशिश करे, रहे हार से दूर।
सियासत हर किसी को यूं ही नही आती है रास,
हम अपनी बस्ती में रहते है सरकार से दूर।
गुलशन में फूलों के बीच गुजर है मेरी अक्सर
राह में हर तरफ बचकर चलता हूं खार से दूर।
गैर तो गैर है अपनो पे भरोसा नही इक़बाल
भहकाये कोई तो मत जाना अपने यार से दूर।

परिचय : नाम – डॉ. इक़बाल मोदी
निवासी :- देवास (इंदौर)
शिक्षा :- स्नातक, (आर.एम्.पी.) वि.वि. उज्जैन
विधा :- ललित लेखन, ग़ज़ल, नज्म, मुक्तक
विदेश यात्रा :- मिश्र, ईराक, सीरिया, जार्डन, कुवैत, इजराइल आदि देशों का भ्रमण
दायित्व :- संरक्षक – पत्र लेखन संघ
सदस्य :- फिल्म राइटर एसोसिएशन मुंबई, टेलीविजन स्क्रीन राइटर एसोसिएशन मुंबई
प्रतिनिधित्व :- विश्व हिंदी सम्मेलन भोपाल


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