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ऐसे थे दासाब

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रचयिता : कुमुद दुबे

प्रस्तुत रचना मैंने “पिता दिवस” पर अपने ससुर जी स्व.पं.नारायण राव जी दुबे, जिन्हें हम दासाब कहते थे, की स्मृति में लिखी है। मेरे ससुर जी मां दुर्गा के अनन्य भक्त रहे। उनका जन्म दुर्गा अष्टमी को हुआ और दुर्गा अष्टमी को ही वे इच्छा मृत्यु को प्राप्त हुए। इन्दौर, उज्जैन और देवास जिले के लगभग ४०-५० गांवों में वे कर्मकाण्ड के साथ जीवनपर्यन्त भागवत प्रवचन करते रहे। उनके जीवन से जुडे एवं इस रचना में समाहित, उन संस्मरणों को प्रत्यक्ष देखने समझने का अवसर तो मुझे नहीं मिला। लेकिन जो कुछ मुझे इस परिवार में आकर देखने-सुनने को मिला उसी के आधार पर यह कविता मेरी उनके प्रति स्वरचित श्रद्धांजली है।
जब दासाब
भागवत प्रवचन कर लौटते
खादी का धोती कुर्ता पहने
दिखते थे तालाब के पार
हम पगडंडी-पगडंडी दौडते
हो लेते थे उनके साथ,
एक घोडी थी दासाब की
मिली थी जो दान में
दक्षिणा सीदा-सामान
उस पर लादकर
इस गांव से उस गांव
फिर अपने गांव
आते थे पैदल चलकर
हाथ-पोटली
छिनने लगते हम
खोजते काम की चीज
तब दासाब कुर्ते की
जेब टटोल
इकन्नी दुअन्नी देकर
समझा देते थे हमको,
बडा सुकून नजर आता था
दासाब के चेहरे पर
जैसे दुनियाँ की सारी खुशियाँ
बाँट दी हो हमको,
हम दौड जाते थे
लालाजी की दुकान पर
गटागट की गोली
कभी गुड लिपटी सेंव
तो कभी अपने हाथों
पुरानी काॅपी के गत्ते से बनी
गुल्लक में
अपने सपनों को जमा करते,
माँ की नजर
हाथ से पोटली लेते
दासाब की जेब पर रहती
कि कहीं पूजा आरती में मिले
पैसे कम न हो जाए,
दासाब, माँ की ओर न देख
जो एक प्रश्न चिंह्न थीं
 ध्यान  बांटने माँ का
 एकाक्षरी- ”चा”(चाय) की
चाह कर बैठते
और माँ की आँखें
एक प्रश्न चिन्ह बनकर
रह जाती कि चिल्लर
क्यों बांट दी बच्चों में ?,
माँ भी क्या करती—–?
उनको तो घर चलाना होता था
शादी, ब्याह, अनाज, इलाज
सभी कुछ पूरे करना होता था
और दासाब को तो बस
एक ही काम था “कथा”
एक चौमासे से दूसरे चौमासे तक
अपने पडाव पर
‘महाय पथिक-से’
निरन्तर
निश्चिंत चलना—-,
दासाब आज भी
तालाब के उस पार से
खादी का कुर्ता-धोती पहने
आते दिखते है
और उनकी दी हुई
इकन्नी-चुअन्नीयां
चाँद तारों की शक्ल में
पूरे आसमान में फैली,
टिमटिमाती हुई
आज भी दिखाई देने लगती है।
लेखिका परिचय :- कुमुद के.सी.दुबे
जन्म- ९ अगस्त १९५८ – जबलपुर
शिक्षा- स्नातक
सम्प्रति एवं परिचय- वाणिज्यिककर विभाग से ३१ अगस्त २०१८ को स्वैच्छिक सेवानिवृत। विभिन्न सामाजिक पत्र पत्रिकाओं में लेख, कविता एवं लघुकथा का प्रकाशन। कहानी लेखन मे भी रुची।
इन्दौर से प्रकाशित श्री श्रीगौड नवचेतना संवाद पत्रिका में पाकशास्त्र (रेसिपी) के स्थायी कालम की लेखिका।
विदेश प्रवास- अमेरिका, इंग्लैण्ड एवं फ्रांस (सन् २०१० से अभी तक)।

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